Madhya Pradesh News: साल 2018 में मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) में कांग्रेस (Congress) के लिए संजीवनी बने आदिवासी समुदाय को साधने के लिए कांग्रेस ने फिर रणनीति बनाना शुरू कर दी है. साल 2023 में होने जा रहे मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ (Kamal Nath) ने आदिवासी विधायकों के साथ बैठक कर उन्हें आदिवासी संगठनों को एक मंच पर लाने की जिम्मेदारी सौंपी है. 


कांग्रेस ने तेज की तैयारी
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की डेढ दशक पुरानी बीजेपी सरकार को प्रदेश की सत्ता से हटाने में आदिवासी समुदाय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. हालांकि, प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस की सरकार महज डेढ साल ही रह सकी और फिर से बीजेपी काबिज हो गई. अब साल 2023 में फिर से विधानसभा चुनाव है. चुनावों को लेकर दोनों ही प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस ने अभी से एड़ी चोंटी का जोर लगाना शुरू कर दिया है.


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आदिवासियों पर जताया भरोसा
कांग्रेस एक फिर आदिवासियों पर भरोसा जता रही है और उसी के मुताबिक रणनीति भी बना रही है. आदिवासियों को अपनी ओर खींचने के लिए बीते दिन कांग्रेस के चीफ व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आदिवासी विधायकों के साथ एक बैठक आयोजित की. इस बैठक के दौरान चीफ कमलनाथ ने कांग्रेस के आदिवासी विधायकों को आदिवासी संगठनों को अपनी ओर आकर्षित करने व एक मंच पर लाने की जिम्मेदारी सौंपी है. बैठक के दौरान जयस के संरक्षक डॉक्टर हीरालाल अलावा, बाला बच्चन, अशोक मर्सकोले, सुरेन्द्र सिंह बघेल, कांतिलाल भूरिया सहित आदिवासी विधायक मौजूद रहे.
 
कमलनाथ बोले बीजेपी की कथनी करनी बताना है
कमलनाथ ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा आदिवासी नेताओं से कहा कि आदिवासियों के बीच जाकर बीजेपी और आरएसएस की कथनी और करनी से अवगत कराना है. आदिवासियों को बताना है कि बीजेपी और संघ उन्हें कैसे गुमराह कर रहा है. आदिवासियों को आपस में लड़ाकर उन्हें उपजातियों में बांटने का प्रयास किया जा रहा है. यह सच्चाई आदिवासियों के बीच पहुंचकर उन्हें बताना है.


आदिवासी नेताओं ने बताए मूलभूत मुद्दे
बैठक के दौरान आदिवासी विधायकों ने मध्य प्रदेश के कांग्रेस चीफ कमलनाथ को आदिवासी समुदाय के मूलभूत मुद्दों से अवगत कराया. बैठक के दौरान आदिवासी समाज और आदिवासी सामाजिक संगठनों की भूमिका को लेकर चर्चा की. उल्लेखनीय है अगले साल मध्य प्रदेश में होने जा रहा विधानसभा चुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख दलों के लिए चुनौती बन गया है . दोनों ही प्रमुख दलों की सुई आदिवासी समाज पर आकर टिक गई है. दोनों ही प्रमुख दल आदिवासी समाज को रिझाने के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं.



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