MP News: इंदौर की विधानसभा चार को बीजेपी की अयोध्या कहा जाता है.  इस सीट पर बीजेपी तीन दशक से काबिज है. यहां मालिनी लक्मण सिंह गौड़ बीजेपी से विधायक हैं और पूर्व महापौर रह चुकी हैं. यहां कांग्रेस लम्बे समय से जिताऊ उम्मीदवार तलाश रही है लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. इस बार गौड़ का टिकट फाइनल समझा जा रहा है वहीं कांग्रेस में अक्षय बम और सुरजीत चड्ढा, सुरेश मिण्डा सहित कई बड़े नेता कतार में हैं.


इंदौर-4 विधानसभा सीट मध्य प्रदेश के इंदौर जिले की एक सीट है. ये इंदौर लोकसभा सीट का हिस्सा है, जो मालवा इलाके में पड़ता है. इस विधानसभा सीट में वोटरों की कुल संख्या 227607 है.


वैसे तो ये विधानसभा बीजेपी का गढ़ है और सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है. यहां की विधायक मालिनी गौड़ 3 बार से विधायक हैं. स्वच्छता सर्वेक्षण में महापौर कार्यकाल में गौड़ ने इंदौर दो बार नंबर एक का खिताब दिलाया. यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में मालिनी गौड़ का रुतबा पार्टी और इंदौर में बढ़ा है और आने वाले चुनाव में इसका फायदा उन्हें और बीजेपी को मिलने की पूरी संभावना है. 


पिछले पांच चुनावों में गौड़ परिवार का ही दबदबा है
इंदौर जिले की इस सीट पर बीजेपी ज्यादातर अजेय रही है. विधानसभा सीट के गठन के बाद से ही बीजेपी के प्रत्याशी इस सीट पर काबिज रहे हैं. इंदौर क्रमांक चार के सियासी इतिहास की बात की जाए तो पिछले पांच चुनावों में गौड़ परिवार का ही दबदबा है. हिंदूवादी बीजेपी नेता और पूर्व स्कूल शिक्षा मंत्री लक्ष्मणसिंह गौड़ ने पहली बार 1993 में यहां चुनाव जीता. लेकिन 2008 में सड़क दुर्घटना में निधन के बाद उनकी पत्नी मालिनी गौड़ मैदान में उतरी और चुनाव जीताया. फिर 2013 में भी जीत को बरकरार रखते हुए मालिनी गौड़ ने कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश मिंडा को शिकस्त दी. 


यहां करीब 40,000 सिंधी मतदाता हैं


इसके बाद 2014 में को इंदौर नगर निगम की महापौर भी चुनी गयीं. 2008 में परिसीमन के बाद विधानसभा क्रमांक चार से अलग होकर राव के रूप में नई विधानसभा सीट बनी, जिसमें पूरी तरह से ग्रामीण इलाका हट गया.


वहीं 2018 में भी मालिनी गौड़ ने बीजेपी का परचम इस क्षेत्र में लहराया. पूरी तरह से शहरी विधानसभा में वैसे तो कोई जातिगत समीकरण नजर नहीं आता और ज्यादातर व्यापारिक क्षेत्र होने की वजह से वैश्य और सिंधी समाज का दबदबा है. यहां करीब 40,000 सिंधी मतदाता हैं. इसके अलावा मुस्लिम, वाल्मीकि, मराठी, सिख और ब्राह्मण मतदाता भी चुनाव में अहम भूमिका निभाते आए. 


बीजेपी का गढ़ माने जाने वाली इंदौर क्रमांक चार विधानसभा में बीजेपी के कई दावेदार सामने आ रहे हैं. हालांकि कोई खुलकर सामने नहीं आ रहा है, लेकिन संगठन स्तर पर तैयारियां जरूर शुरू हो गई है. इस दावेदारी के पीछे जातिगत समीकरण को अहम माना जा रहा है. वहीं इस विधानसभा में सालों से मेहनत कर रहे हैं. बीजेपी नेताओं को लगता है कि गौड़ परिवार के अलावा दूसरे नेताओं को भी मौका मिलना चाहिए तो वहीं कांग्रेस भी किसी ऐसे चेहरे की तलाश में हैं जो जीत दिला सके.


फिलहाल सीट पर मालिनी गौड़ विधायक हैं


इंदौर कमान चार बीजेपी के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है. नतीजे भी यहां बताते हैं कि बीजेपी को यहां हराना खासा मुश्किल है. यही वजह है कि टिकट के कई दावेदार नजर आते हैं. वैसे तो पिछले पांच चुनाव से ही गौड़ परिवार के सदस्य ही जीतते आ रहे हैं.


फिलहाल सीट पर मालिनी गौड़ विधायक हैं और आने वाले चुनाव में एक बार फिर वो टिकट की प्रबल दावेदार भी है. लिहाजा संगठन स्तर पर दूसरे बीजेपी नेताओं को मौका दिए जाने की बात उठ रही है. हालांकि कोई भी नेता खुलकर अपनी उम्मीदवारी का दावा नहीं कर रहा. मगर सभी ने अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी है.


सालों से विपक्ष की भूमिका निभाने वाली कांग्रेस सालों बाद भी कोई बड़ा चेहरा खड़ा नहीं कर पाई है जो कि बीजेपी को टक्कर दे सके. हर बार पार्टी यहां इस उम्मीद के साथ उम्मीदवार बदलती है की वो चुनाव जीते लेकिन हर बार उसे हार का सामना करना पड़ा. अब जब चुनाव नजदीक हैं तो टिकट के लिए कई नेता दावेदारी कर रहे हैं. संभावित उम्मीदवारों में कांग्रेस नेता अक्षय बम और सुरजीत सिंह चड्ढा का नाम सबसे ऊपर है.


1977 से अब तक कौन- कौन रहा विधायक :-



  • 1977 वल्लभ शर्मा जनता पार्टी

  • 1980 योग्यदत्त शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

  • 1985 नंदलाल माटा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

  • 1990 कैलाश विजयवर्गीय भारतीय जनता पार्टी

  • 1993 लक्ष्मण सिंह गौड़ भारतीय जनता पार्टी

  • 1998 लक्ष्मण सिंह गौड़ भारतीय जनता पार्टी

  • 2003 लक्ष्मण सिंह गौड़ भारतीय जनता पार्टी

  • 2008 मालिनी गौड़ भारतीय जनता पार्टी

  • 2013 मालिनी गौड़ भारतीय जनता पार्टी

  • 2018 मालिनी गौड़ भारतीय जनता पार्टी


दोनों ने अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी है. इसके अलावा पूर्व प्रत्याशी सुरेश मिंडा एक बार फिर कांग्रेस से टिकट के लिए ताल ठोक रहे हैं. कांग्रेस में पार्टी स्तर पर भी विधानसभा चार को लेकर उठापटक जारी है. दावेदार तो कहीं सामने आए हैं लेकिन पार्टी हाईकमान यहां अंतिम फैसला सभी की रायशुमारी के बाद ही करने की बात कर रही है. 


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