Depalpur Assembly Constituency: भारतीय जनता पार्टी की अंतर्कलह थमने का नाम नहीं ले रही है. इंदौर में जब से पार्टी टिकट घोषित हुए हैं. उसके बाद से ही पार्टी के अंदर बवाल मचा है. इंदौर के देपालपुर सीट की बात करें तो यहां से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक मनोज पटेल को पार्टी का टिकट दिया गया है. लेकिन भारतीय जनता पार्टी देपालपुर के कार्यकर्ता इस बात से खुश नहीं है. यहां जबरेश्वर सेना प्रमुख और मालेगांव ब्लास्ट में बरी हुए हिंदूवादी नेता राजेंद्र चौधरी के लिए कार्यकर्ताओं ने लॉबिंग शुरू कर दी है. इस मामले में कार्यकर्ता लगातार भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में प्रदर्शन कर रहे हैं.  


आज इंदौर के भारतीय जनता पार्टी कार्यालय पर पहुंचे कार्यकर्ताओं ने देपालपुर से स्थानीय उम्मीदवार की मांग उठाते हुए राजेंद्र चौधरी को टिकट देने की मांग की है. इस मामले में राजेंद्र चौधरी के समर्थकों का कहना है कि पिछले कई दशकों से भारतीय जनता पार्टी पटेल परिवार को टिकट देती आ रही है. वहीं अब यह परिवारवाद थामना चाहिए और स्थानीय उम्मीदवार को टिकट मिलना चाहिए. 


कार्यालय पर जाकर प्रदर्शन कर चुके हैं
कार्यकर्ताओं ने कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी अपने टिकट बदलने का फैसला नहीं लेती है तो बीजेपी को देपालपुर से हार का सामना करना पड़ेगा. आपको बता दें कि इससे पहले जबरेश्वर सेना और बीजेपी के यह कार्यकर्ता उज्जैन में भी भारतीय जनता पार्टी कार्यालय पर जाकर प्रदर्शन कर चुके हैं. गुरुवार (5 अकटूवर) को इन्होंने उज्जैन में प्रदर्शन किया था. उसके बाद आज शुक्रवार (6 अकटूवर) को इंदौर के भारतीय जनता पार्टी कार्यालय पर पहुंचकर नारेबाजी की गई. रैली के रूप में यह कार्यकर्ता देपालपुर से निकले और भारतीय जनता पार्टी के जावरा कंपाउंड स्थित कार्यालय पर पहुंचे, जहां पर उन्होंने स्थानीय नेताओं से अपनी बात कही और राजेंद्र चौधरी को टिकट देने की मांग की.


कौन है राजेंद्र चौधरी 
हिंदूवादी राजेंद्र चौधरी मालेगांव ब्लास्ट से बरी होने के बाद इंदौर के देपालपुर में जबरेश्वर सेना के नाम से लगातार अलग-अलग तरह के कार्यक्रम कर रहे हैं और लगातार हिंदुओं को एक करने में जुटे हुए हैं. दरअसल 29 सितंबर 2008 की रात को 9.35 पर महाराष्ट्र के मालेगांव में बम धमाका हुआ था. मोटरसाइकिल में यह धमाका हुआ था. 6 लोग इस ब्लास्ट में मौत का शिकार और 101 लोग घायल हुए थे. ये ब्लास्ट पूरी तरह से आतंक से जुड़ा था. बाद में महाराष्ट्र की एटीएस ने इस मामले की जांच शुरू की.


एक माह बाद इस केस में UAPA व MCOCA की धारा लगाई गई. साल 2011 में इस केस की जांच एनआईए को सौंपी गई. NIA ने 13 मई 2016 को चार्जशीट दायर की. इसमें 6 आरोपियों के खिलाफ खिलाफ सबूत नहीं मिलने की बात कोर्ट में रखी गई. आरोपियों में प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिव नारायण करसंग्रा, श्याम भंवर लाल साहू, प्रवीण तकलकी, लोकेश शर्मा और धन सिंह चौधरी का नाम था.


ये भी पढ़ें: MP Elections 2023: 'मैं भोपाल में बैठे-बैठे इशारे करूंगा तो इंदौर...', कार्यकर्ताओं की बैठक में बोले कैलाश विजयवर्गीय