MP Election 2023 Survey: मर्दों को बिल्कुल पसंद नहीं हैं महिला उम्मीदवार! विधानसभा चुनाव से पहले हुए सर्वे में हुआ खुलासा
MP Election 2023 News: केवल 5 फीसदी महिलाएं ही महिला उम्मीदवार चाहची हैं. केवल एक फीसदी पुरुष ही महिला उम्मीदवार को वोट देना चाहते हैं.सर्वे में प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों के लोगों की राय ली गई.
MP Election 2023 News: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कराए गए एक सर्वे में चौकाने वाले परिणाम निकले हैं.इस सर्वे में प्रतिक्रिया देने वाले लोगों में से 56 फीसदी शहरी और 62 फीसदी ग्रामीण मतदाता अपने विधायक के कामकाज से खुश नहीं हैं.इस बार के चुनाव में व्यापारी एक ऐसा उम्मीदवार चाहते हैं जिससे आसानी से मिला जा सके.वहीं केवल पांच फीसदी महिलाएं ही महिला उम्मीदवार के समर्थन में हैं तो केवल एक फीसदी पुरुष मतदाता ही महिला उम्मीदवार को वोट देना चाहते हैं. सर्वे में प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों के लोगों की राय ली गई.
अखबार दैनिक भास्कर ने इस सर्वे को कराया. इसमें 24 हजार 458 लोगों की राय शामिल की गई. यह सर्वे ओटीपी पर आधारित था. इसके नतीजों के इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदाताओं के लिए सबसे बड़ा मुद्दा शिक्षा और स्वास्थ्य हैं.वहीं उनकी सबसे बड़ी जरूरत बेहतर कानून-व्यवस्था है.
1- इस बार के चुनाव में प्राथमिकता क्या है?
- सरकारी नौकरी करने वाले 23 फीसदी लोगों ने शिक्षा और स्वास्थ्य को सबसे बड़ा मुद्दा बताया.
- 18 फीसदी किसानों ने महंगाई को सबसे बड़ी प्राथमिकता बताया.
2- पिछले चुनाव के मुद्दों का क्या हुआ?
- 24 फीसदी किसानों ने कहा कि पिछले चुनाव के वादे पूरे हुए.
- गांवों में 22 फीसदी और शहरों में 19 फीसदी लोगों ने कहा कि पिछले चुनाव में किए गए वादे पूरे हुए.
- सबसे ज्यादा 82 फीसदी बेरोजगारों ने कहा कि उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हो पाई हैं.वो आज भी अधूरी हैं.
- 24 फीसदी किसान और 21 फीसदी व्यापारी मानते हैं कि वादे पूरे हुए हैं.
- 63 फीसदी महिलाओं और 69 फीसदी पुरुषों ने कहा कि उनसे किए गए वादे पूरे नहीं हुए हैं.
3- इस बार के चुनाव में कैसा प्रत्याशी चाहते हैं?
- व्यापारी एक ऐसा उम्मीदवार चाहते हैं जिससे आसानी से मिला जा सके.
- केवल पांच फीसदी महिलाओं ने ही महिला उम्मीदवार की वकालत की.
- केवल 1 फीसदी पुरुष मतदाता ही महिला उम्मीदवार के लिए वोट करना चाहते हैं.
4-अपने विधायक के काम से कितने संतुष्ट?
- 36 फीसदी किसान अपने विधायक के कामकाज से संतुष्ट हैं.
- 56 फीसदी शहरी और 62 फीसदी ग्रामीण मतदाता अपने विधायक के कामकाज से खुश नहीं हैं.
- अनुसूचित जनजाति वर्ग के 66 फीसदी और सामान्य वर्ग के 57 फीसदी लोगों ने कहा कि वो अपने विधायक के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं.
- 26 फीसदी प्रोफेशनल्स के मुकाबले 31 फीसदी व्यापारी अपने विधायक के काम से खुश हैं.
5- क्षेत्र की सबसे बड़ी जरूरत क्या है?
- शहरी क्षेत्र के मतदाताओं की सबसे बड़ी जरूरत बेहतर सरकारी इलाज है.
- 22 फीसदी किसानों ने अपनी फसलों के लिए सही मूल्य को सबसे बड़ी जरूरत बताया.
- सामान्य वर्ग के 18 फीसदी लोगों ने बताया कि कानून व्यवस्था उनकी सबसे बड़ी जरूरत है.
6-2018 के चुनाव में मुद्दा क्या था?
- किसानों के लिए कर्ज माफी सबसे अहम मुद्दा था.
- 33 फीसदी महिलाओं के लिए सबसे बड़ा मुद्दा था.
- 31 फीसदी पुरुषों के लिए रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा था.
- किसानों में से 54 फीसदी ने बताया कि उनके लिए कर्जमाफी सबसे बड़ा मुद्दा बताया.
7-चुनाव के बाद कौन सक्रिय रहा.
- 57 फीसदी व्यापारी अपने विधायक से असंतुष्ट हैं.
- 41 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि उनका विधायक हारे हुए उम्मीदवार की तुलना में ज्यादा सक्रिय है.
- 39 फीसदी पुरुष बोले विधायक ज्यादा सक्रिय है.
- 43 फीसदी महिलाओं ने कहा कि विधायक से अधिक कोई और सक्रिय रहा.
8-ज्यादा असंतुष्ट किससे हैं.
- लोगों को सबसे कम शिकायत पुलिस स्टेशनों से है.
- लोगों में विधायक के बाद सबसे अधिक नाराजगी सरकारी दफ्तरों से है.गांव-शहर, वर्ग, पुरुष-महिला जैसे पैमाने पर भी यह ट्रेंड रहा.
- केवल छह फीसदी लोगों ने पुलिस थानों से असंतोष जताया है.
9-साल 2018 के चुनाव में फैक्टर क्या था?
- 11 फीसदी लोगों ने सीएम पद का चेहरा देखकर वोट किया था.
- पिछले चुनाव में 44 फीसदी लोगों ने पार्टी और 40 फीसदी लोगों ने प्रत्याशी को देखकर वोट किया.
- जाति के नाम पर वोट देने वालों की संख्या केवल 1.7 फीसदी रही.
10-चुनाव में फ्री वाले वादे सही हैं?
- सरकारी नौकरी करने वाले 90 फीसदी लोगों ने मुफ्त वाले वायदों को गलत बताया.
- प्रदेश के 83 फीसदी लोगों ने इस तरह के मुफ्त वालों वादों को गलत बताया.
- पहली बार वोट देने जा रहे मतदाताओं में से 26 फीसदी और 10 वीं तक की पढ़ाई करने वाले 29 फीसदी ने मुफ्त वाले वादों को सही बताया.
- सरकारी नौकरी करने वाले 90 फीसदी लोगों ने चुनाव में फ्री वादों को गलत बताया.
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