MP Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गई है. ऐसे में हर पार्टी अपना पूरा जोर लगाने में जुटी है. इसी कड़ी में आज हम बात कर रहे हैं इंदौर-2 विधानसभा सीट की. मध्य प्रदेश की कुछ ऐसी विधानसभाएं हैं जो बीजेपी का ऐसा किला बन गईं हैं, जिन्हें भेदना कांग्रेस के लिए मुश्किल हो रहा है. इंदौर-2 विधानसभा सीट भी इसमें शामिल है. 'भैया' और 'दादा' की जोड़ी यहां पिछले कई सालों से कमाल कर रही है. 


ये है विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास
इस सीट की बात करें तो एक समय में इंदौर-2 विधानसभा सीट कांग्रेस के पास थी, लेकिन अब ये बीजेपी का अभेद्य किला बन गई है. बीजेपी के कद्दावर नेता और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय यहां से लगातार तीन बार विधायक रहे. कैलाश विजयवर्गीय की परछाई बनकर उनके साथ दादा यानि रमेश मेंदोला उसके बाद तीन बार से लगातार विधायक बनते आ रहे हैं. 


इस सीट पर 30 साल से कांग्रेस दहलीज पर ही खड़ी है. समीकरण देखकर लगता है कि यहां आने वाले चुनावों में बीजेपी को हराना कांग्रेस के लिए इतना आसान नहीं होगा. क्योंकि साल 2013 का विधानसभा चुनाव तो मेंदोला रिकार्ड 91 हजार से अधिक मतों से जीते थे.


क्या हैं स्थानीय मुद्दे?
इंदौर की शान रही कपड़ा मिलें इसी क्षेत्र में हैं. इसका मतलब यहां मजदूर वर्ग भी बड़ी संख्या में रहा है. जो इन मिलों में काम करता रहा है. इंदौर-2 विधानसभा सीट अब बंद कपड़ा मिलों के अतीत के निराशाजनक निशानों से उबरता जा रही है. किसी समय यह इलाका मिल क्षेत्र कहलाता था. हालांकि स्वच्छता अभियानों ने इस क्षेत्र की काया पलट कर दी है. इंदौर की शान मेट्रो ट्रेन भी इसी क्षेत्र में आती है, इसलिए यहां लोगों को मेट्रो का सफर करने का बेसब्री से इतंजार है. 


कथा, भंडारे और भजनों की भरमार
कथा, भजनों भंडारों के मामले में इंदौर की विधानसभा का कोई सानी नही है. या यूं कहिए धार्मिक आयोजन के बहाने ही सही लेकिन इलेक्शन मेनेजमेंट यहां ठीक ठाक हो जाता है. हालांकि बीते कुछ वक्त से हालात और समय दोनों बदले हैं, इसलिए धार्मिक आयोजनों के अलावा विकास कार्यो पर भी फोकस किया जाने लगा है. 


इंदौर-2 विधानसभा सीट में स्कीम-54 में नया स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स, सौ बेड का नया अस्पताल, हर वार्ड में संजीवनी क्लिनिक, क्षेत्र में तीन सीएम राइज स्कूल होने जा रहे हैं. इनमें से एक शुरू हो चुका है. आगे भी विकास को लेकर कई योजनाएं हैं.


इतने हैं वोटर्स
कुल मतदाता 3 लाख 32 हजार 899
पुरुष मतदाता 1 लाख 70 हजार 146
महिला मतदाता 1 लाख 62 हजार 753


राजनीतिक समीकरण 
इस विधानसभा में वैसे तो बीते तीन दशकों से बीजेपी का सिक्का चल रहा है, लेकिन 1977 से 1990 तक यहां कांग्रेस का राज रहा. 1993 के बाद से कैलाश विजयवर्गीय ने ये सीट फिर से कांग्रेस के पास नही जाने दी जो रिकॉर्ड अबतक कायम है. वहीं साल 2018 के विधानसभा चुनावों में यहां से कांग्रेस ने मोहन सेंगर को मैदान में उतारा था. सेंगर ने खूब ताकत लगाई लेकिन फिर भी मेंदोला यहां से 71 हजार मतों की लीड लेकर जीत गए.


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