Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश की राजनीति और चुनाव के तमाम रोचक किस्से फेमस है. आज हम आपको एक ऐसा ही किस्सा बताने जा रहे हैं, जिसने न केवल भारतीय चुनावी राजनीति में इतिहास रचा बल्कि समाज के तीसरे पक्ष को भी गौरव से भर दिया. शहडोल जिले की जनता ने देश की पहली ट्रांसजेंडर विधायक शबनम मौसी को जीताकर मध्यप्रदेश विधानसभा में भेजा था.


कांग्रेस का गढ़ रही थी ये सीट
दरअसल,शहडोल जिले की सोहागपुर सीट से दिग्गज विधायक केपी सिंह की मृत्यु के बाद साल 2000 के फरवरी माह में उप चुनाव हो रहा था. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि शहडोल जिले की सोहागपुर विधानसभा सीट हमेशा से कांग्रेस का गढ़ थी. देश में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी चुनाव हार गई थी, तब भी शहडोल की सोहागपुर सीट से कांग्रेस के केपी सिंह ने विजय हासिल की थी.


चुनावी मैदान में शबनम मौसी दिग्गजों को दी शिकस्त
ट्रांसजेंडर शबनम मौसी अनूपपुर में रहती थी. विधायक बनने से पहले वे उत्सवी माहौल में नाच-गाकर अपना गुजर बसर किया करती थी. यह वह दौर था जब लोगों में राजनीतिक दलों के प्रति जमकर गुस्सा था. लोग कांग्रेस की दिग्विजय सरकार से भी बेहद नाराज थे. पब्लिक के बीच से ही शबनम मौसी को सुहागपुर सीट से उपचुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया गया. शबनम मौसी ने एमएलए बनने के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में नामांकन दाखिल कर दिया.


कांग्रेस और बीजेपी के अधिकृत प्रत्याशियों सहित कुल 9 लोग चुनाव मैदान में थे. शबनम मौसी को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव चिन्ह पतंग मिला था. इसके बाद जनता उम्मीदवार या प्यूपिल कैंडिडेट शबनम मौसी की पतंग ने चुनावी आसमान में इतनी ऊंची उड़ान भरी कि बाकी प्रत्याशी उनके आसपास तक भी नही पहुंच सके. सबकी चुनावी पतंग काटते हुए शबनम मौसी ने इतिहास रच दिया.


शबनम मौसी ने हासिल किए 40.8 प्रतिशत वोट
हिंदुस्तान की राजनीति का इतिहास लिखने वाले इस चुनाव में 17 फरवरी 2000 को मतदान हुआ. लोगों ने बढ़ चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया. इसके बाद 25 फरवरी 2000 को वह घड़ी आई जिसने पूरे देश और दुनिया में सुर्खियां बटोरी. इस दिन हुई मतगणना में शबनम मौसी ने रिकॉर्ड 40.8 प्रतिशत वोट हासिल कर पहली ट्रांसजेंडर एमएलए बनने का गौरव हासिल किया. उन्होंने कांग्रेस, बीजेपी,जनता दल और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को धूल चाटते हुए जीत हासिल की.


बताते है कि शबनम मौसी ने बहुत कम खर्च में चुनाव लड़ कर विजय प्राप्त की थी. शबनम मौसी को कुल पड़े 90611 वोटों में से 39937 वोट मिले थे. कांग्रेस के प्रत्याशी दिवंगत विधायक के पी सिंह के पुत्र बृजेश सिंह को 17282 वोट मिले. वही, बीजेपी के लल्लू सिंह को 22074 वोट मिले और वे दूसरे स्थान पर रहे.


शबनम मौसी ने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और गरीबी ने मुद्दे उठाएं
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे बताते हैं कि साल 2000 का सोहागपुर का उपचुनाव अद्भुत था. शहडोल जिले की जनता ने कांग्रेस एवं बीजेपी के प्रत्याशियों को नकार दिया था और विरोध स्वरूप एक किन्नर को जीताकर मध्यप्रदेश की विधानसभा में भेजा था. कहते है कि शबनम मौसी बहुत ज्यादा शिक्षित नहीं थी. उन्होंने केवल प्राथमिक विद्यालय में ही शिक्षा प्राप्त की थी लेकिन उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान था. विधानसभा के सदस्य के रूप में उन्होंने सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और गरीबी को लेकर तमाम सवाल उठाए. शबनम मौसी ने अपने कार्यकाल में किन्नरों के प्रति भेदभाव के खिलाफ बोलते हुए एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने का भी प्रयास किया था.


दूसरे विधानसभा चुनाव में हार गई थी शबनम मौसी 
साल 2005 में शबनम मौसी के जीवन पर 'शबनम मौसी' नामक एक हिंदी फिल्मी भी बनी थी, जिसमें शबनम मौसी की भूमिका मध्यप्रदेश के ख्यातिलब्ध अभिनेता आशुतोष राणा ने निभाई थी. हालांकि,अगले विधानसभा चुनाव में शबनम मौसी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में फिर से नामांकन दाखिल किया था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. चुनाव हारने के बाद शबनम मौसी वापस अनूपपुर चली गई और पूर्व विधायक के रुप में मिल रही पेंशन से अपना गुजर-बसर कर रही है.


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