Madhya Pradesh Politics: मध्य प्रदेश के चुनावी साल में बीजेपी और कांग्रेस मैं मचे घमासान का ज्यादा लाभ किसे मिलेगा इसे लेकर दोनों ही पार्टियां पूरी ताकत लगा रही है. जहां एक तरफ कांग्रेस दलबदल पर विश्वास रख रही है. वहीं बीजेपी कांग्रेस की गुटबाजी को लेकर खुद का फायदा होने की बात कह रही है.


दरअसल, इस बार विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से घमासान शुरू हो गया है. चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही कई बड़ी घोषणा कर चुकी हैं. साथ ही दोनों ही दल सत्ता हासिल करने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रही है. दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ दावा कर चुके हैं कि बीजेपी के कई बड़े नेता कांग्रेस के संपर्क में हैं. कमलनाथ समर्थक विधायक सज्जन सिंह वर्मा तो यहां तक कह चुके हैं कि इस बार बारिश के मौसम में कांग्रेस ज्वाइन करने वाले बीजेपी नेताओं की बाढ़ आने वाली है.


कमलनाथ का नेतृत्व फेल- बीजेपी
पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे पूर्व मंत्री दीपक जोशी सहित कई नेता बीजेपी से कांग्रेस में जा भी चुके हैं. दूसरी तरफ बीजेपी कांग्रेस में चल रही गुटबाजी को लेकर लाभ हासिल करने की कोशिश कर रही है. वहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसोदिया के मुताबिक उज्जैन, गुना, खंडवा में कांग्रेस के बीच जो स्थितियां बन रही है, उससे स्पष्ट है कि कमलनाथ का नेतृत्व फेल हो चुका है. इसका सीधा लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा. कांग्रेस से जनता का विश्वास उठ गया है. 


क्या दलबदल से होगा कांग्रेस को फायदा?
अभी ऐसे कई नेता बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में जा सकते हैं, जिन्हें बीजेपी से विधानसभा टिकट मिलने की उम्मीद कम दिखाई दे रही है. इनमे ऐसी विधानसभा के बड़े नेता शामिल है, जहां सिंधिया समर्थक नेताओं को टिकट मिलना है. पूर्व मंत्री दीपक जोशी भी सिंधिया समर्थक विधायक मनोज पटेल के कारण बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं. वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा के मुताबिक निश्चित रूप से दलबदल का फायदा दूसरी पार्टी को मिलता है. नेता अपने समर्थकों के साथ जब पार्टी ज्वाइन करते हैं तो इसका लाभ जरूर मिलता है. यही वजह है कि पार्टी के बड़े नेता हमेशा अपनी पार्टी में लोकप्रिय व जनाधार वाले नेताओं को लाने की कोशिश में लगे रहते हैं.


कांग्रेस की गुटबाजी का कितना मिलेगा लाभ?
वरिष्ठ पत्रकार संदीप वत्स के मुताबिक कांग्रेस तब तक एक ही सूत्र में बंधी रहती है, जब तक कि टिकट वितरण नहीं होता है. जैसे ही विधानसभा के टिकट वितरित होने लग जाते हैं, वैसे ही कांग्रेस में गुटबाजी देखने को मिल जाती है. इस बार तो अभी से कांग्रेस में गुटबाजी सामने आ रही है. उज्जैन में शहर अध्यक्ष रवि भदोरिया का ऑडियो वायरल और खंडवा में पैसा लेकर टिकट भेजना, जैसे आरोप इसके महत्वपूर्ण उदाहरण है. पिछले दो दशक से बीजेपी को कांग्रेस की गुटबाजी का लाभ मिल रहा है. इस बार भी गुटबाजी सड़क पर आई तो लाभ मिलना निश्चित है.


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