MP Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश की 230 सीट विधानसभा सीटों में से 47 सीट ऐसी हैं, जहां पर आदिवासी समुदाय द्वारा हार जीत का फैसला किया जाता है. पूर्व मंत्री उमंग सिंघार (Umang Singhar) के आदिवासी मुख्यमंत्री बनाए जाने के बयान के बाद मध्य प्रदेश के 19 जिलों में सियासत तेज हो गई है. मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू होने के साथ ही राजनीतिक दलों के सामने कई तरह की मुश्किलें भी आ रही हैं.


कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री उमंग सिंघार द्वारा एमपी को आदिवासी मुख्यमंत्री दिए जाने की मांग उठाए जाने के बाद 19 जिलों में सियासत तेज हो गई. मध्य प्रदेश में झाबुआ, अलीराजपुर, छिंदवाड़ा, रतलाम, बड़वानी, खरगोन, धार, अनूपपुर, डिंडोरी, शहडोल, बालाघाट, मंडला, खंडवा, उमरिया, सीधी, श्योपुर, सिवनी, नर्मदापुरम और बेतूल जिले ऐसे हैं, जहां पर आदिवासी समुदाय द्वारा 47 विधानसभा सीटों के भाग्य का फैसला किया जाता है. साल 2018 में कांग्रेस ने इन 47 में से 30 सीटों पर जीत हासिल कर मध्य प्रदेश में सत्ता हासिल की थी. 


बीजेपी भी दे रही मुद्दे को हवा
अब आदिवासी मुख्यमंत्री का कार्ड कमलनाथ पर भारी पड़ रहा है. भारतीय जनता पार्टी भी इस पूरे मुद्दे को हवा दे रही है. हालांकि उमंग सिंघार ने बीजेपी से भी आदिवासी मुख्यमंत्री का नाम आगे लाने की मांग कर दी है. मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के 6 महीने बाद लोकसभा चुनाव होना है. ऐसे में मोदी सरकार विधानसभा चुनाव के साथ-साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी में भी जुट गई है. मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 6 सीट ऐसी है, जहां पर आदिवासी समुदाय द्वारा प्रत्याशी को लोकसभा पहुंचाया जाता है.


अब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने साधा निशाना
मध्य प्रदेश के बैतूल, धार, खरगोन, मंडला, रतलाम और शहडोल लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के खाते में आती हैं. वर्तमान में ये सभी लोकसभा सीटें बीजेपी के पास है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने भी उमंग सिंघार के बयान को हवा दी है. उन्होंने कहा है की उमंग सिंघार ने समय-समय पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ को आइना दिखाया है.


विष्णु दत्त शर्मा ने यह भी कहा कि कांग्रेस केवल आदिवासी समुदाय से वोट लेना जानती है. आदिवासी समाज केवल उनके लिए वोट बैंक है. शर्मा ने राष्ट्रपति का उदाहरण देते हुए कहा कि बीजेपी ने अनुसूचित जनजाति वर्ग के महिला को राष्ट्रपति पद पर बैठा कर पूरे आदिवासी समाज का सम्मान किया है.


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