MP Elections 2023: चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में सत्ताधारी दल बीजेपी ने 230 सीटों में से 39 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर चुनावी ताल ठोक दी है. हालांकि बीजेपी ने अभी उन सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की है, जहां बीजेपी बीते चुनाव या उससे पहले से हारती आ रही है. बीजेपी ने इन 39 प्रत्याशियों में दो प्रत्याशी राजधानी भोपाल के भी घोषित कर दिए हैं. इन सीटों में भोपाल की उत्तर विधानसभा और मध्य विधानसभा शामिल हैं. भोपाल की उत्तर विधानसभा सीट बीजेपी के लिए अभी भी अबूझ पहेली बनी गई है.इस सीट पर पिछले 25 साल से कांग्रेस का कब्जा है. बीजेपी ने इस बार विधायक आरिफ अकील के गढ़ को ढहाने के लिए पूर्व महापौर आलोक शर्मा पर विश्वास जताया है.


भोपाल की सात विधानसभा सीटें


आपको बता दें कि राजधानी भोपाल में सात विधानसभा सीटें हैं. इनमें नरेला, बैरसिया, हुजूर, गोविंदपुरा, दक्षिण-पश्चिम, भोपाल उत्तर और भोपाल मध्य शामिल हैं. इन सात सीटों में भारतीय जनता पार्टी का पांच सीटों पर कब्जा है, जबकि शेष दो सीटों पर कांग्रेस काबिज है. इन सात सीटों में से बीजेपी ने फिलहाल दो सीटों पर ही उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है.इन दोनों सीटों में से भोपाल उत्तर विधानसभा सीट बीजेपी के लिए चुनौती बनी हुई है. यहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आरिफ अकील बीते पांच बार से लगातार विधायक चुने जा रहे हैं. आरिफ अकील के इस गढ़ को भेदने के लिए बीजेपी ने शहर के पूर्व महापौर आलोक शर्मा को टिकट दिया है.  


कब हुआ था भोपाल उत्तर विधानसभा सीट का गठन


आपको बता दें कि राजधानी भोपाल की उत्तर विधानसभा का गठन 46 साल पहले साल 1977 में हुआ था. पहली बार इस सीट से जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में हामिद कुरैशी ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1980 में रसूल अहमद सिद्दीक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) से विधायक चुने गए. 1985 में फिर रसूल अहमद सिद्दीकगंज कांग्रेस से विधायक बने. वहीं 1990 में निर्दलीय रूप में आरिफ अकील ने कांग्रेस के इस गढ़ को भेद दिया था.वे विधायक चुने गए.वहीं 1993 में यहां से बीजेपी के रमेश शर्मा विधायक चुने गए. इसके बाद से यह सीट फिर कांग्रेस के कब्जे वाली हो गई. साल 1998 के चुनाव में कांग्रेस ने आरिफ अकील पर विश्वास जताया. अकील कांग्रेस के विश्वास पर खरे उतरे और विधायक चुने गए. तभी से आरिफ अकील भोपाल की उत्तर सीट पर विधायक चुने जा रहे हैं. वे 2003, 2008, 2013 और 2018 में भी इस सीट से विधायक चुने गए.साल 2018 में अकील ने बीजेपी की फातिमा रसूल सिद्दीकगंज को 34 हजार 857 मतों से पराजित किया था. 


परिवार की आपसी फूट पर नजर


विधायक आरिफ अकील फिलहाल अस्वस्थ हैं.इस वजह से 15 अगस्त को आयोजित कार्यक्रम के दौरान मंच से विधायक अकील ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपने मंझले बेटे आतिफ अकील के नाम की घोषणा की थी. उनकी इस घोषणा के बाद उनके परिवार में फूट सार्वजनिक मंच पर आ गई. उनके छोटे भाई और बड़े बेटे ने विरोध जता दिया.अकील परिवार में आई इस फूट पर अब सियासी दलों की नजर पड़ गई है.देखते हैं कि आने वाले चुनाव में इस सियासी फूट का फायदा किसे होता है.


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