MP: भोपाल में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को हटाने के लिए अभी तक क्या किया, हाई कोर्ट ने सभी पक्षों से मांगी पूरी डिटेल
MP News: भोपाल में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को हटाने के संबंध में एक जनहित याचिका दायर की गई है. हाई कोर्ट में इस मामले में की सुनवाई 18 जनवरी 2023 होगी.
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Madhya Pradesh News: भोपाल में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को हटाने के संबंध में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका पर सुनवाई के लिए 18 जनवरी 2023 की तारीख तय करते हुए हाई कोर्ट ने सभी पक्षों से अभी तक की कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है. साथ में हाई कोर्ट की रजिस्ट्री से भी मामले की पूरी डिटेल मांगी है.
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के पुनर्वास और उपचार की दिशा में संतोषजनक काम न होने को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस शील नागू की डिवीजन बेंच ने निर्देश दिए हैं कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के डिप्टी डायरेक्टर 4 सप्ताह के भीतर पूरा ब्यौरा पेश करें, कि अब तक कोर्ट के पूर्व निर्देशों के मुताबिक इस दिशा में क्या कुछ काम किए गए हैं.
सुनवाई के दौरान मौजूद रहे आईसीएमआर के सीनियर डिप्टी डायरेक्टर
सुनवाई के दौरान वर्चुअल मोड से मौजूद रहे आईसीएमआर के सीनियर डिप्टी डायरेक्टर आर रामाकृष्णन ने बताया कि उनके द्वारा भोपाल बीएमएचआरसी अस्पताल में नियुक्त स्पेशलिस्ट डॉक्टरों और रिक्त पदों के सिलसिले में दो बार पत्राचार किया गया है. यह बात भी सामने आई है कि चिकित्सकों का वेतन बढ़ाने और नई नियुक्तियों में हर साल सात करोड़ से अधिक का अतिरिक्त खर्च भी सरकार को वहन करना होगा. इस पूरे मामले पर कार्यवाही प्रगतिशील है और जवाब का इंतजार है.
18 जनवरी 2023 होगी मामले की अगली सुनवाई
हाई कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि आईसीएमआर के सीनियर डिप्टी डायरेक्टर 4 सप्ताह के भीतर पूरे मामले पर अपना जवाब प्रस्तुत करें और मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ रिसर्च के जवाब को भी प्रस्तुत करें.अगर 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश नहीं किया जाता है तो केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के सचिव को हाईकोर्ट में वर्चुअल मोड से उपस्थित होकर जवाब पेश करना होगा. पूरे मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी 2023 को तय गई है.
गौरतलब है कि साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला संगठन समेत अन्य के द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी. जिसमें भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार और पुनर्वास के संबंध में सुनवाई के दौरान निर्देश जारी किए गए थे. इन बिंदुओं के पर कार्य करने के लिए मॉनिटरिंग कमेटी का भी गठन किया गया था. जिसे हर 3 माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए गए थे. हाई कोर्ट में याचिका विचाराधीन होने के दौरान कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किया गया. जिसके बाद अवमानना याचिका दायर की गई थी.
अब तक नहीं बन पाए हैं भोपाल के गैस पीड़ितों के हेल्थ कार्ड
अवमानना याचिका में कहा गया था कि अब तक भोपाल के गैस पीड़ितों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बन पाए हैं.अस्पताल में आवश्यकतानुसार उपकरण और दवाओं समेत हेल्थ स्पेशलिस्ट भी उपलब्ध नहीं है. वहीं बीएमएचआरसी में भर्ती नियम का निर्धारण नहीं होने के कारण डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं भी प्रदान नहीं कर रहा है. याचिका में केंद्रीय पर्यावरण कल्याण विभाग के सचिव, केंद्रीय रसायन और उर्वरक विभाग के सचिव, प्रदेश सरकार और भोपाल गैस त्रासदी सहायता और पुनर्वास विभाग के सचिव समेत आईसीएमआर और अन्य को पक्षकार बनाया गया था.
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