MP News: मध्य प्रदेश में शराबबंदी को लेकर उमा भारती (Uma Bharti) तकरीबन 6 महीने से मुखर होकर अपनी बात रख रही हैं. इसे लेकर उनकी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) से ट्विटर पर वाद-विवाद भी हुआ. शराब दुकानों में पत्थर और गोबर फेंकने के बावजूद सरकार ने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया. इस मामले में सरकार की अनदेखी से अब उनके सब्र का बांध टूटता दिख रहा है. अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए उमा भारती ने सोमवार को सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा कि आज देव दीपावली है. भगवान कार्तिक स्वामी देव दीपावली के दिन असुरों को पराजित करके हिमालय की ओर वापस लौटने लगे. इतने पराक्रम के बाद भी जब वो हिमालय की ओर लौटे तो अकेले पड़ गए.
उमा भारती ने कहा कि 2019 से पहले गंगा के किनारे की यात्रा और अब शराब के खिलाफ अपने अभियान के लिए भगवान और लोगों का साथ तो रहा, लेकिन मेरी अपनी पार्टी बीजेपी इन दोनों अभियानों के प्रति कार्यक्रम के दृष्टि से तटस्थ रही. निजी तौर पर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता इन दोनों अभियानों के लिए मेरे प्रति सम्मान और समर्थन दिखाते हैं, लेकिन पार्टी के तरफ से कोई विशेष आयोजन इन विषयों को लेकर नहीं होता है.
शराब बंदी पर होगा सरकार को नुकसान
वहीं राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शराबबंदी को लेकर उमा भारती के आंदोलन की धार को सरकार ने हमेशा से कमजोर करने के कोशिश की है. सरकार ने हां-ना वाला रवैया अपनाए रखा. हालांकि सरकार के लिए भी सरकारी खजाने की खस्ता हालत को देखते हुए शराब के रेवेन्यू से हाथ धोना बेहद मुश्किल है. फिलहाल पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने 8 दिसंबर तक अपने आंदोलन के अगले प्लान को विराम दे दिया है. उन्होंने कहा कि मंगलवार को चंद्रग्रहण के बाद नागपुर होकर अमरकंटक के आसपास अज्ञातवास में रहते हुए मंडराते रहूंगी. दत्त पौर्णिमा (8 दिसम्बर) तक प्रतीक्षा करती हूं कि केंद्रीय स्तर पर हमारी पार्टी और राज्य स्तर पर हमारी मध्य प्रदेश की सरकार क्या नीति बनाती हैं. मसला गंभीर हैं. अब 8 दिसंबर के बाद संवाद करेंगे.