Jabalpur News: मध्य प्रदेश के कई निजी और सरकारी स्कूलों के बच्चों के बोर्ड परीक्षा के फॉर्म न भरने से हंगामा मचा है. मामला परीक्षा फीस से जुड़ा है. इसमें राजधानी भोपाल के भी 11 से ज्यादा स्कूल शामिल हैं. हालांकि, आखिरी चेतावनी के बाद फिलहाल यहां के कुछ स्कूलों ने बच्चों के परीक्षा फॉर्म और फीस जमा करा दी है. लेकिन, 582 से ज्यादा बच्चे अभी भी ऐसे हैं, जिनकी एग्जाम फीस अब तक जमा नहीं हुई है.


इन बच्चों के भविष्य को देखते हुए समाधान खोजने के प्रयास शुरू हो गए हैं. मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (MPBSE) के सचिव श्रीकांत बनोठ ने कहा है कि इन बच्चों को परीक्षा देने से नहीं रोका जाएगा. सभी पक्षों से बैठक के बाद बीच का रास्ता निकाला जाएगा. बोर्ड स्तर पर लापरवाही करने वाले स्कूल संचालकों और प्राचार्यों पर सख्त कार्रवाई की भी बात कही जा रही है.


900 रुपये निर्धारित की गई थी एग्जाम फीस
यहां बता दें कि एमपी बोर्ड ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा फीस 900 रुपये तय की थी. अंतिम तिथि 30 सितंबर निर्धारित की गई थी. इसके बाद फीस जमा करने के लिए 100 रुपये फाइन के साथ कुछ दिन का और वक्त दिया गया था. अगर इसके बाद भी फीस नहीं जमा की जाती है, तो फिर 20 नवंबर तक 2000 रुपये फाइन के साथ फॉर्म जमा करने की अंतिम व्यवस्था बोर्ड द्वारा की गई थी. हालांकि, 20 नवंबर तक भी कई सरकारी और निजी स्कूल के बच्चों की फीस जमा नहीं हो सकी थी. 


अभी तक जमा नहीं हुई 582 बच्चों की फीस
इसमें से 11 स्कूल तो भोपाल के ही थे. इसके बाद बोर्ड ने प्रति छात्र 5729 रुपये फीस लेने का आदेश दिया. इस हिसाब से स्कूलों को 11 करोड़ से अधिक भुगतान करना था. कुछ स्कूलों ने चंदा इकट्‌ठा करके अपने हिस्से की रकम जमा कर दी. लेकिन, अभी भी 582 बच्चे ऐसे हैं, जिनकी बोर्ड परीक्षा फीस जमा नहीं हो सकी है. अब ये स्कूल माध्यमिक शिक्षा मंडल को कुल मिलाकर 35 लाख रुपये जमा करेंगे. बताया जाता है कि कई स्कूलों ने माध्यमिक शिक्षा मंडल को करोड़ों की फीस जमा करने को लेकर आपस में ही बीच का रास्ता निकाला. शिक्षकों ने ही 10 हजार रुपये का चंदा देकर फीस जमा की.


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