MP News: देश में बढ़ती मंहगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से आम जन जीवन त्रस्त हो चुका है. इन हालातों में खासकर मध्यम वर्ग के सब्र का बांध टूटता जा रहा है. तमाम रिपोर्ट्स कह रही है कि लोग नौकरियां गंवाते जा रहे हैं. आमदनी घटती जा रही है और खर्चे का बोझ बढ़ता जा रहा है. हर साल की तरह लोग इस बार भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी अपेक्षाएं और जरूरतें देश के आम बजट में शामिल होंगी.


वहीं इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने भी अपने प्री-बजट मेमोरेंडम-2023 में सुझाव दिया है और आयकर छूट की सीमा बढ़ाने की मांग की है. उसने कहा है कि अधिनियम 1961 की धारा 80सी के तहत कर कटौती की सीमा को बजट में मौजूदा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये किया जाना चाहिए. धारा 80 सी की कटौती सीमा में बढ़ोतरी जनता को बड़े पैमाने पर बचत के अवसर प्रदान करेगी. जबलपुर के सीए और टैक्स सलाहकार अनिल अग्रवाल बता रहे हैं कि देश का मध्यम वर्ग साल 2023 के आम बजट से क्या उम्मीद कर रहा है.


जानें क्या हैं वो अपेक्षाएं



  • आयकर मुक्त आय की सीमा जो वर्ष 2014 से प्रति व्यक्ति 2 लाख 50 हजार रुपए के स्तर पर बनी है, उसे बढ़ाकर रुपए 5 लाख रुपये करना अति आवश्यक है.

  • शिक्षा और स्वास्थ्य पर हो रहे खर्च की अतिरिक्त छूट धारा 80 सी और 80 डी में मिलें जो एक मध्यम वर्गीय को मंहगाई से कुछ राहत देने का काम करे.

  • इसी तरह अर्थव्यवस्था में कैश के प्रभाव को कम करने और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने व्यापारी को धारा 80 के अंतर्गत आय में से छूट मिलें. सौ प्रतिशत डिजिटल लेनदेन करने वाले व्यापारी को 50 प्रतिशत व्यापारिक लाभ पर आयकर की पूर्णता छूट मिलें.

  • इसी तरह डिजिटल अर्थव्यवस्था को सबसे बड़ी चोट साइबर फ्राड पहुंचा रहा है. इसलिए जो स्टार्ट अप या कंपनियां फ्राड रोकने हेतु साफ्टवेयर बनाने के क्षेत्र में काम करना चाहती है, उनके लिए टैक्स छूट के विशेष प्रावधान हो.

  • धारा 54 के अंतर्गत पूंजीगत लाभ की छूट प्रापर्टी बेचने वाले व्यक्ति को तब भी मिलें यदि वह निवेश अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर भी करे या उनके नाम से प्रापर्टी खरीदें. ऐसे में रीयल एस्टेट क्षेत्र में न केवल कैश लेनदेन में कमी आएगी बल्कि इस क्षेत्र को बढ़ावा भी मिलेगा. यह समय की जरूरत है.

  • पूंजीगत खर्च में बढ़ोतरी हो ताकि रोजगार सृजन बढ़े और भ्रष्टाचार निवारण हेतु सरकारी विभागों में कड़े नियम हो. सभी विभागों को आनलाइन प्रक्रिया से जोड़ा जाये ताकि किसी भी अधिकारी का आमजन से कोई संपर्क न हो.

  • आयकर स्रोत बढ़ाने के लिए धर्मार्थ संस्थानों और राजनीतिक दलों को टैक्स दायरे में लाना आवश्यक है, भलें ही आयकर एकमुश्त फीसदी की दर से सकल आय पर लगे.

  • इसी तरह बड़े किसान जिन्होंने पिछले 2 सालों में औसत खेती से आय 5 लाख रुपए से ऊपर बताई है, उन पर भी 5 फीसदी की दर से टैक्स लगाना उचित होगा.


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