MP Budget Session 2023: मध्य प्रदेश की लगभग साढ़े आठ करोड़ जनता की सेवा करने का दावा करने वाले प्रदेश के विधायकों के पास जनता के लिए समय नहीं है. इसका प्रत्यक्ष उदाहरण एक दिन पहले यानि मंगलवार को स्थगित हुए विधानसभा सत्र (MP Assembly Session) को देखकर लगाया जा सकता है. प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता के हित में 27 फरवरी से शुरू हुआ मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र सात दिन पहले ही स्थगित हो गया. प्रदेश की जनता के लिए विधायक महज 44 घंटे 57 मिनट समय ही दे सके हैं.


बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) के चौथे कार्यकाल का यह अंतिम विधानसभा बजट सत्र था. सत्र की शुरुआत 27 फरवरी से शुरु हुई थी. सदन 27 मार्च तक चलना था. सत्र की निर्धारित अवधि 29 दिन की थी. सत्र के दौरान मध्यप्रदेश के विकास हित में 13 बैठकें आयोजित होना थी, लेकिन विडम्बना यह रही कि माननीयों के पास प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता के हित में समय ही नहीं रहा. 27 मार्च तक चलने वाला विधानसभा सत्र सात दिन पहले यानि 21 मार्च को स्थगित हो गया.


44 घंटे 57 मिनट ही चर्चा
बता दें कि 29 दिन चलने वाले विधानसभा सत्र में माननीय प्रदेश के हित के लिए महज 44 घंटे 57 मिनट ही चर्चा कर सके. सदन की शुरुआत 27 फरवरी से हुई थी. सत्र की निर्धारित अवधि 29 दिन रखी गई थी. इस दौरान 13 बैठकों का आयोजन होना था, लेकिन सदन में 12 बैठकें ही आयोजित हो सकीं, जबकि एक बैठक निरस्त कर दी गई. 12 बैठकों के दौरान प्रदेश के 230 माननीय (विधायक) महज 44 घंटे 57 मिनट ही प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता के हित में चर्चा कर सके. विधानसभा बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान तीन हजार 704 प्रश्नों की सूचनाएं लगाई गईं, जबकि 15 स्थगन प्रस्ताव, 887 ध्यानाकर्षण सूचनाएं, 449 याचिकाएं, 15 अभ्यावेदन, शासकीय विधेयक छह और 34 अशासकीय संकल्प सदन की कार्यवाही के दौरान रखे गए. 


हंगामे की भेंट चढ़ा सदन
बता दें कि 27 फरवरी से शुरू हुआ विधानसभा बजट सत्र शुरुआत से ही हंगामे की भेंट चढ़ता नजर आया. शुरुआत में विपक्ष की ओर से राऊ से कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी सत्ता पक्ष की परेशानी बनते नजर आए. नतीजतन सत्तापक्ष ने रणनीति बनाई, जिसमें राऊ विधायक जीतू पटवारी उलझ गए. सदन के चौथे दिन विधायक जीतू पटवारी को सदन से ही निलंबित कर दिया गया. विधायक पटवारी के निलंबन के बाद कुछ हद तक बीजेपी भी सुकून में आ गई. विधानसभा सत्र की कार्यवाही के दौरान विपक्ष ने महू में हुए आदिवासी युवक-युवती की मौत का मामला, ओलावृष्टि से बर्बाद किसानों की फसल और 10वीं-12वीं के पेपर लीक मामले पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया.


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