MP Cabinet Expansion News: मध्य प्रदेश में ऐन चुनाव से पहले शिवराज सिंह चौहान ने नाराज़ विधायकों को मनाने और जातीय-क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कड़ी में तीन नए मंत्रियों को अपनी कैबिनेट में शामिल करने का फैसला किया है. इनमें राजेंद्र शुक्ल का नाम अहम है और इस कवायद के जरिए न सिर्फ विंध्य क्षेत्र को साधने की कसरत है बल्कि ब्रह्मण समाज को भी अपने पाले में बनाए रखने की कोशिश है.
क्या ब्राह्मणों को साधने की कवायद है?
सूबे का विंध्य ब्रह्मण बनाम राजपूत के वर्चस्व की लड़ाई का एक अहम केंद्र है. बीजेपी के लिए ये ज़मीन बहुत ही उपजाऊ है. विंध्य में विधानसभा की 30 सीटें हैं, जिनमें 24 पर बीजेपी का कब्जा है. लेकिन इनमें से शिवराज कैबिनेट में सिर्फ एक मंत्री हैं. नाम है बिसाहू लाल सिंह, वो कांग्रेस से आए हुए हैं, जिन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने साथ लाए थे. हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम भी इसी इलाके से आते हैं. अब राजेंद शुक्ल की एंट्री के बाद मंत्रियों की ये संख्या दो पर चली जाएगी. हो सकता है इस तरह से इस क्षेत्र के ब्रह्मणों को खुश करने में ये चाल कामायब हो जाए, लेकिन दिक्कत ये है कि इस कसरत से कहीं राजपूत समाज नाराज़ न हो जाए.
बीजेपी के लिए दिक्कतें क्या हैं?
विंध्य के दो जिले रीवा और सिंगरौली बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत बन सकते हैं. रीवा जिले से 8 विधायक आते हैं, जिनमें सभी के सभी बीजेपी से हैं, लेकिन जिले में मेयर कांग्रेस पार्टी का है. इसी तरह से सिंगरौली जिला, जिसे जिला बनाने का श्रेय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जाता है. जिले पर आम आदमी पार्टी का कब्जा हो गया है. जिले में आप का मेयर है. हालांकि, रीवा से ही निकलकर मऊगंज अब एक अलग जिला वजूद में आ चुका है.
राजपूत बनाम ब्राह्मण
विंध्य में हमेशा से राजपूत बनाम ब्राह्मण की लड़ाई रही है. एक जमाने में दादा (श्रीनिवास तिवारी) और दाऊ (अर्जुन सिंह) की लड़ाई हुआ करती थी, लेकिन बदली राजनीतिक स्थिति में अब कई बड़े ब्राह्मण फेस हैं, लेकिन राजपूतों में कोई बड़ा नेता नहीं है जो ब्राह्मणों के बड़े चेहरों के लिए सीधी चुनौती बन सके, लेकिन दोनों खेमों की अंदर खाने होने वाली लड़ाई कहीं बीजेपी के लिए नुकसान का सबब न बन जाए.
मैहर सीट से बीजेपी के विधायक नारायण त्रिपाठी हैं. वो बड़े ब्राह्मण चेहरा हैं. वो लगातार इस सीट पर जीत रहे हैं, लेकिन वो बीजेपी के खिलाफ लगातार बगावती रुख अपनाए हुए हैं. ऐसे में चुनाव के वक्त में वो बीजेपी के लिए सिरदर्द बन सकते हैं. उन्होंने अलग विंध्य राज्य की मांग को लेकर अपनी नई पार्टी का एलान भी कर दिया है.
गिरीश गौतम की हालत पस्त
गिरीश गौतम इलाके में एक बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं, लेकिन पिछला चुनाव वो बड़ी मुश्किल से जीते थे. पंचायत चुनाव में बेटे को हार का सामना करना पड़ा था. इसलिए बीजेपी के लिए वो बड़े खेवनहार बन सकेंगे, इसपर सवालिया निशान है.
क्या सारी दिक्कतों की भरपाई कर पाएंगे राजेंद्र शुक्ल?
इसमें कोई शक नहीं है कि राजेंद्र शुक्ल एक तेजतर्रार नेता हैं. विंध्य में एक बड़ा चेहरा माने जाते हैं. रीवा जिले में उनकी तूती बोलती है. लेकिन नगरीय पंचायत चुनाव ने माहौल में डर पैदा कर दिया है. जिले के मेयर की कुर्सी कांग्रेस के पास चली गई है. ऐसे में बीजेपी के लिए ये लड़ाई सख्त होगी. ये साफ है कि राजेंद्र शुक्ल के सामने एक मुश्किल लड़ाई होगी.
कौन हैं राजेंद्र शुक्ल?
राजेंद्र शुक्ल रीवा सीट से विधायक हैं और विंध्य में बड़े ब्राह्मण चेहरा हैं. उनका शुमार एक काम कराने वाले नेता के तौर पर होता है. वो शिवराज की पिछली सरकारों में भी मंत्री रहे हैं.
विंध्य की सीटों का गणित
रीवा- 8 सीटें, सभी पर बीजेपी काबिज
सतना- 7 सीटें, 4 पर बीजेपी, 3 पर कांग्रेस
सीधी- 4 सीटें, 3 पर बीजेपी, एक पर कांग्रेस
सिंगरौली- 3 सीटें, सभी पर बीजेपी काबिज
शहडोल- 3 सीटें, सभी पर बीजेपी काबिज
अनूपपुर- 3 सीटें, एक पर बीजेपी, 2 पर कांग्रेस काबिज
उमरिया- 2 सीटें, दोनों पर बीजेपी काबिज