Kuno National Park: मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में तीन महीने में तीन चीतों और तीन शावकों की मौत होने के बाद, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ने कहा, 'जो कुछ भी हुआ उसकी हम जिम्मेदारी लेते हैं.' हालांकि, इस बात पर भी जोर दिया कि चीतों के स्थानांतरण की परियोजना सफल साबित होगी. जानकारी के लिए बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को पिछले साल 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के कूनो स्थित एक बाड़े में छोड़ा था. इस तरह के दूसरे स्थानान्तरण में, 12 चीतों को दक्षिण अफ्रीका से लाया गया और 18 फरवरी को कूनो में छोड़ा गया.
मार्च 2023 और और अप्रैल 2023 में तीन चीतों की मौत हो गई. बाकी 17 वयस्क चीतों में से 7 को पहले ही जंगल में छोड़ दिया गया है. तीन चीतों और नामीबिया की मादा चीता, सिसाया से पैदा हुए चार शावकों में से तीन की मौत होने के बाद कई विशेषज्ञों ने प्राकृतिक वास और वन्यजीव प्रबंधन की उपयुक्तता पर सवाल उठाए हैं.
'चीतों की मौत का था पूर्वानुमान'
भूपेंद्र यादव ने एक अंग्रेजी मीडिया के कार्यक्रम में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'यह एक अंतरराष्ट्रीय परियोजना है और हमें मृत्यु होने का पूर्वानुमान था. हमारी रिपोर्ट (चीता परियोजना) में भी इसका उल्लेख किया गया है. एक चीता भारत आने से पहले ही अस्वस्थ था. हमने दो अन्य (वयस्क) चीतों की मौत के कारण बताए हैं.' उन्होंने कहा, 'तीनों शावकों की मौत अत्यधिक गर्मी के कारण हुई. तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया. जो भी हुआ उसकी हम जिम्मेदारी लेते हैं. हालांकि, परियोजना एक बड़ी सफलता साबित होगी और पूरे देश को इस पर गर्व होगा.'
'मृत्यु दर सामान्य सीमा के अंदर'
पिछले हफ्ते दो चीता शावकों की मौत के बारे में खबर सामने आने के बाद, केंद्र ने चीता परियोजना की प्रगति की समीक्षा और निगरानी के लिए 11 सदस्यों वाली उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया था. सरकार और परियोजना में शामिल विशेषज्ञों ने कहा है कि मृत्यु दर सामान्य सीमा के भीतर है. समिति ने बुधवार को पहली बार बैठक की और जून के तीसरे हफ्ते तक दो मादा सहित सात और चीतों को जंगल में छोड़ने का फैसला किया.
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