Madhya Pradesh News: 17 सितंबर को आठ चीतों (Cheetahs) को साउथ अफ्रीका के नामीबिया (Namibia) से कूनो पार्क में छोड़ा जाएगा. इन चीतों को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) बटन दबाकर बाड़े से बाहर जंगल में छोड़ेगे. वहीं चीतों को लाने की तैयारी शुरू हो गई है. चीते 16 सितंबर को नामीबिया से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क आ जाएंगे. चीतों की सुरक्षा के लिए चीता मित्र तैनात रहेगें और भोजन के लिए 200 चीतल है. वहीं अभी चीते एक महीने नामीबिया के डॉक्टर की देखरेख में रहेंगे. वन विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है. कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए जा रहे चीतों के सरंक्षण के लिए इंडियन ऑयल कंपनी आगे आई है और इन चीतों पर  50 करोड़ खर्च करने की घोषणा की है. 


इन खर्चों के लिए दिए रुपये
वहीं इंडियन ऑयल कंपनी ने पहली किस्त नौ करोड़ रुपये जारी भी कर दिए हैं. बाकी की राशि अलग-अलग चरणों में जारी की जाएगी. कंपनी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और मध्य प्रदेश राज्य प्रमुख दीप कुमार बासु ने बताया कि कंपनी यह राशि चीतों की सुरक्षा पर्यावरण प्रबंधन, पर्यावरण विकास स्टाफ प्रशिक्षण और चिकित्सक के लिए उपलब्ध करा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर खुद प्रधानमंत्री मध्य प्रदेश के श्योपुर आ रहे हैं. उनके हाथों से ही इन चीतों को बाड़े से बाहर कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कंपनी के अध्यक्ष एम एस वैध भी उपस्थित रहेंगे. इस राशि के खर्च होने के बाद कंपनी और राशि जारी करेगी.


कूनो नेशनल पार्क के अंदर एक भी गांव नहीं
वहीं खास बात यह है कि यह पार्क देश का पहला ऐसा अभ्यारण्य है जिसके अंदर एक भी गांव नहीं है. चीतों को बसाने के लिए देश में सबसे उपयुक्त कूनो नेशनल पार्क को माना गया है. बताया जाता है कि इस जंगल में डकैतों का साया हुआ करता था. इसलिए यहां दस्यु संकट से मानव बसाहट कम रही. इसी को ध्यान में रखते हुए यह कूनो पार्क चीतों के लिए सुरक्षित बन गया. चीता प्रोजेक्ट रिपोर्ट में इसका जिक्र भी हुआ है कि कूनो नेशनल पार्क का एक लंबा इतिहास है जहां पर डकैतों का राज हुआ करता था लेकिन अब नियंत्रण है. इस क्षेत्र में किसान आदिवासी लोगों की बसाहट हो गई है और खेती कर रहे है. खास बात यह है कि कूनो नेशनल पार्क की सीमा 700 किमी की है इसके अंदर अब एक भी गांव नहीं है और ना ही कोई अंदर जाता है इस पार्क से गांवों को दूसरी जगह विस्थापित कर दिया गया है. यह देश का पहला मात्र एक ऐसा अभ्यारण्य बन गया है जिसके अंदर कोई भी गांव नहीं आते हैं. 




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