MP News: माता अहिल्या की नगरी इंदौर (Indore) में हर बार की तरह इस बार भी गणेश चतुर्थी का पर्व बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है. भगवान गणेश के भक्त इस वक्त उनकी भक्ति में सराबोर हैं. इस गणेश चतुर्थी के अवसर पर आज हम आपको 1200 इंदौर के जूनी इंदौर क्षेत्र में स्थित 1200 साल पुराने भगवान गणेश के उस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने आप में अनोखा है. इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां विराजमान भगवान चिंतामण गणेश (Chintaman Ganesh) अपने भक्तों की मनोकामना फोन पर सुनते हैं और उसे पूरा भी करते हैं, जिसके चलते भगवान गणेश को देश-विदेश के हजारों लोग फोन करते हैं.
जब भगवान गणेश का चमत्कार देख भाग खड़ा हुआ था औरंगजेब
इतिहास के पन्ने उलटे पर पता चलता है कि इस मंदिर पर कभी औरंगजेब ने आक्रमण किया था, जैसे ही उसने मंदिर के मुख्य द्वार तोड़ा, तभी उसने भगवान गणेश का ऐसा चमत्कार देखा कि वह यहां से अपना पूरा साम्राज्य समेटकर भाग गया.
भगवान फोन पर सुनते हैं भक्तों की अरदास
मंदिर के मुख्य पुजारी मनोहर लाल पाठक कहते हैं कि भारत के अलग-अलग हिस्सों और देश विदेशों से भगवान गणेश के भक्त उन्हें फोन करते हैं. पूजा-आरती के वक्त पुजारी भक्तों के पोन को भगवान गणेश के पास रख देते हैं और भगवान गणेश मोबाइल पर ही अपने भक्तों की समस्याओं को सुनते हैं और उनका निराकरण भी करते हैं.
चिट्ठियां भी भेजते हैं भगवान के भक्त
उन्होंने कहा विदेशों में रह रहे कई भक्त भगवान को चिट्ठी भी लिखते हैं. इस चिट्ठी को पंडित जी भगवान गणेश के सामने पढ़ते हैं. पुजारी कहते हैं कि चिट्ठी भेजने का यह सिलसिल पिछले 50 सालों से लगातार जारी है. वह बताते हैं कि यदि भगवान गणेश ने पत्र में लिखे कष्ट को सुन लिया तो श्रद्धालु की मनोकामना जरूर पूर्ण होती है. मनोहर लाल बताते हैं कि यह देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां भगवान मोबाइल और पत्र के माध्यम से लोगों की समस्याओं को सुनते हैं. पंडित बताते हैं कि मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन करने के लिए हर रोज देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं.
हर रोज आ रही हैं 100 से अधिक चिट्ठियां
मनोहर लाल ने बताया कि इस वक्त रोजाना 100 से ज्यादा पत्र दरबार में आ रहे हैं. पत्रों को लेकर उन्होंने एक रोचक बात भी बताई. उन्होंने बताया कि अधिकांश पत्रों में जिक्र होता है कि बेटी की शादी किसी डॉक्टर या बिजनेसमैन हो जाए, बेटे की बुरी संगत छूट जाए. गौरतलब है कि चिंतामण गणेश मंदिर को पहले चिट्ठी वाले गणेश कहा जाता था लेकिन अब यह मंदिर मोबाइल वाले चिंतामण गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है.
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