Mohan Yadav in Ujjain: सीएम डॉ. मोहन यादव ने तोड़ा 211 साल पुराना मिथक, उज्जैन में बिताई रात, बताई सिंधिया परिवार की कहानी
Mohan Yadav in Ujjain: मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 211 साल पुरानी मिथक को तोड़ते हुए उज्जैन में रात बिताई. उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह उज्जैन में आगे भी रुकते रहेंगे.
Mohan Yadav in Ujjain: मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 211 साल से प्रचलित एक मिथक को तोड़ दिया है. उन्होंने उज्जैन में रात बिताई और कहा कि आगे भी वे उज्जैन में रुकेंगे. डॉ. मोहन यादव ने अपने गीता कॉलोनी स्थित पुश्तैनी मकान पर रात बिताई. आज दोपहर के बाद वे उज्जैन से रवाना होंगे.
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने के साथ ही यह सवाल सभी के मन में उठ रहा था कि मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन में मुख्यमंत्री मोहन यादव रात बिताएंगे या नहीं? उज्जैन के दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से विधायक डॉक्टर मोहन यादव ने इस मिथक को तोड़ दिया. उन्होंने मिथक तोड़ने से पहले जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि 211 साल पहले इस मिथक को तत्कालीन राजा दौलत राव सिंधिया ने बनाया था.
सीएम मोहन यादव ने बताया कैसे बना मिथक
सीएम यादव ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश के तत्कालीन राजा महाद जी सिंधिया के निधन के बाद दौलत राव सिंधिया राजधानी को उज्जैन से ग्वालियर ले जाना चाहते थे. इसके चलते उन्होंने यह मिथक बनाया. उन्होंने कहा कि उज्जैन में राजा एक ही हैं- बाबा महाकाल, इसलिए दो राजा उज्जैन में निवास नहीं कर सकते. डॉक्टर यादव ने यह भी कहा कि यह मिथक झूठा है. इसका शास्त्रों में कहीं कोई उल्लेख नहीं किया गया है. इस मिथक को डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में रात रुक कर तोड़ दिया है.
गीता कॉलोनी में संयुक्त परिवार के साथ रहते हैं डॉ. यादव
उज्जैन के गीता कॉलोनी इलाके में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं. उनके दो भाई हैं और एक बड़ी बहन है. शनिवार को पूरे परिवार के साथ डॉक्टर मोहन यादव ने रात्रि विश्राम किया. वे देर रात तक उज्जैन में आयोजित स्वागत रैली में आम लोगों के बीच रहे.
ज्योतिषाचार्य ने भी किया मुख्यमंत्री का समर्थन
ज्योतिष आचार्य पंडित अमर डिब्बेवाला के मुताबिक शास्त्रों में इस बात का कहीं कोई उल्लेख नहीं है कि धार्मिक नगरी उज्जैन में कोई भी मुख्यमंत्री नहीं रह सकता है. उन्होंने कहा कि इस किवदंति को कुछ साल पहले ही प्रचलित किया गया था. आम लोग इस मिथक के मायने भी नहीं जानते हैं. भगवान महाकाल के आशीर्वाद के बिना कोई भी मुख्यमंत्री नहीं बन सकता है. ऐसी स्थिति में मिथक को बेवजह ही तूल दिया गया.
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