Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश की डॉक्टर मोहन यादव (Mohan Yadav) सरकार ने लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग को मर्ज करने का फैसला लिया है. आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी में बताया गया है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रालय में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में यह फैसला लिया गया. लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग को मर्ज कर 'लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग' के रूप में पुनर्गठित किया जाएगा.
सरकार का कहना है कि इस मर्जर से मेडिकल कॉलेज रूटीन मेडिकल सेवाएं देने के बजाय अति गंभीर या विशिष्ट इलाज, मेडिकल एजुकेशन पर ध्यान केन्द्रित कर सकेंगे. शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर की प्रभावी निगरानी हो सकेगी. मेडिकल कॉलेजों की बेस्ट प्रेक्टिसेस का स्वास्थ्य केन्द्रों में उपयोग किया जा सकेगा. मेडिकल कॉलेजों से जिला अस्पतालों को एसोसिएट करना आसान हो जाएगा. स्वास्थ्य नीति और विभागीय योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन और नियंत्रण में सुविधा मिलेगी. आत्म-निर्भर मध्य प्रदेश के रोडमैप में दोनों विभागों के विलय की बात की गई थी.
इस अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन
इसके अवाला मंत्रि-परिषद द्वारा मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी अधिनियम-2011 के प्रावधानों में संशोधन की स्वीकृति दी गई है. वर्तमान में आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी मेडिकल, डेंटल केयर, नर्सिंग, आयुर्वेद, होम्योपैथी, नेचुरोपैथी आदि में पाठ्यक्रम संचालित करता है. नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थाओं और छात्र-छात्राओं की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी को नर्सिंग और पैरामेडिकल को छोड़कर अन्य विषयों के पाठ्यक्रम संचालित करने की जिम्मेदारी दी जाएगी.
मंत्री परिषद ने दी ये भी मंजूरी
वहीं नर्सिंग और पैरामेडिकल विषयों से संबंधित पाठ्यक्रम का संचालन उच्च शिक्षा विभाग की ओर से स्थापित अन्य विश्व विद्यालयों के माध्यम से किया जाएगा. मंत्री परिषद ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अतंर्गत प्रदेश के सभी जिलों में 1-1 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेन्स स्थापित करने की स्वीकृति दी है. प्रदेश के 55 जिलों में प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेन्स स्थापित किया जाएगा. चयनित महाविद्यालयों में अतिरिक्त 1,845 शैक्षणिक पदों और 387 अशैक्षणिक पदों की स्वीकृति दी गयी है. इसके लिए कुल 485 करोड़ रुपये के व्यय की स्वीकृति दी गई है.