MP Shipra River News: मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में होने वाली शिप्रा परिक्रमा को लेकर खूब चर्चा हो रही है. मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव खुद 15 जून से होने वाली परिक्रमा में शामिल होंगे. उन्होंने ही कई सालों पहले शिप्रा परिक्रमा की शुरुआत की थी. साधु-संत और ज्योतिषाचार्य भी शिप्रा परिक्रमा का बड़ा महत्व बता रहे हैं. उनका कहना है कि शिप्रा नदी की परिक्रमा करने से 10 प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है.
ज्योतिष आचार्य पंडित अमर डिब्बेवाला के मुताबिक शिवरात्रि तीर्थ परिक्रमा का उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है. स्कंद पुराण की अवंतिका खंड में शिप्रा नदी की परिक्रमा का काफी महत्व बताया गया है. स्कंद पुराण में लिखा गया है कि शिप्रा नदी की परिक्रमा करने से पितृ दोष, पूर्व जन्म के पापों का नाश, मोक्ष की प्राप्ति, शारीरिक व्याधि आदि से मुक्ति मिलती है.
पंडित डिब्बेवाला के मुताबिक शिव पुराण तीर्थ पर कदम रखने से ही पूर्ण फल की प्राप्ति मिलने का उल्लेख भी धार्मिक ग्रंथ में मिलता है. पंडित अक्षत व्यास के मुताबिक शास्त्रों में यह भी लिखा है कि भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने के पहले शिप्रा नदी में स्नान का काफी महत्व है. यदि शिप्रा नदी में स्नान के बाद भगवान महाकाल का आशीर्वाद लिया जाता है, तो यह धार्मिक यात्रा पूर्ण मानी जाती है. शिप्रा नदी उत्तर वाहिनी है और इसका काफी महत्व है.
15 जून से चालू होगी शिप्रा परिक्रमा
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कई साल पहले शिप्रा तीर्थ परिक्रमा को शुरू किया था. शिप्रा तीर्थ परिक्रमा के माध्यम से श्रद्धालुओं को शिप्रा के महत्व को भी बताने का काम किया गया. इसके अलावा शिप्रा नदी को प्रदूषित होने से बचने का संदेश भी यात्रा के माध्यम से दिया जाता है. इस बार मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा शुरू किए गए आयोजन में मध्य प्रदेश के एक दर्जन से ज्यादा विभाग हिस्सा ले रहे हैं. यात्रा 16 जून को समाप्त होगी यात्रा के दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे.
राजा सद्युम्य ने की थी परिक्रमा
पंडित अमर डिब्बेवाला ने बताया कि शिव भक्त राजा सद्युम्य ने प्राचीन काल में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिप्रा की परिक्रमा की थी. बाद में कई सालों तक साधु संतों द्वारा लगातार शिप्रा की परिक्रमा का क्रम चलता रहा. उन्होंने बताया कि शिप्रा नदी के किनारे पर सिंहस्थ महापर्व भी लगता है. शिप्रा नदी में अमृत की बूंदे गिरी थी.