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MP News: निजी निवेशकों के लिए मोहन यादव सरकार का ऑफर, 'मेडिकल कॉलेज आप खोलिए,अस्पताल हम देंगे'
MP Medical College: मध्य प्रदेश सरकार ने पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज खोलने को मंजूरी दे दी है. इसके लिए संबंधित जिला हॉस्पिटल को ही निजी समूहों को दिया जाएगा. इसमें गरीबों को विशेष आरक्षण मिलेगा.
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MP News: मध्य प्रदेश में नए निजी मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए डॉक्टर मोहन यादव की सरकार ने नया प्लान तैयार किया है. निजी निवेशकों को मोहन यादव सरकार ऑफर देने जा रही है, जिसके तहत एमपी में मेडिकल कॉलेज निजी निवेशक खोलें और अस्पताल सरकार देगी. सरकार ने निर्णय लिया है कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मोड पर मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की जाएगी. इसके लिए जल्द जिला अस्पतालों को ऐसे निजी समूहों को सौंप दिया जाएगा,जो मध्य प्रदेश में मेडिकल कालेज खोलना चाहते है.
इससे मेडिकल कॉलेज के साथ अस्पताल की बाध्यता नहीं होगी और कम खर्चे में नया मेडिकल कॉलेज शुरू हो जाएगा. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार (4 मार्च) को मंत्रालय में हुई कैबिनेट की बैठक में ये निर्णय लिया गया. कैबिनेट बैठक के बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मीडिया को बताया कि आज के समय में मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल बनाने में लगभग 500 करोड़ रुपये का खर्च होता है. निवेशकों को बहुत अधिक निवेश न करना पड़े, इसके लिए संबंधित जिला हॉस्पिटल को ही निजी समूह को सौंप दिया जाएगा.
75 फीसदी बेड गरीब मरीजों के आरक्षित
निजी समूह को सिर्फ मेडिकल कॉलेज बनाना होगा. साथ में ये भी शर्त रखी जाएगी कि हॉस्पिटल स्टाफ की सैलरी निवेशक समूह देगा. सरकार की ओर से मेडिकल कॉलेज के लिए निजी समूह को जमीन कलेक्टर रेट पर उपलब्ध कराई जाएगी. कैबिनेट बैठक में लिए निर्णय के बारे में कैलाश विजयवर्गीय ने आगे बताया कि योजना के तहत ऐसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 75 फीसदी बेड गरीब मरीजों के लिए आरक्षित होंगे. निजी निवेशक 25 फीसदी मरीजों का कमर्शियल दर से इलाज कर सकेंगे.
पीपीपी मॉडल पर बने अस्पताल में होंगी सौ MBBS सीट
कैबिनेट ने तय किया है कि प्रदेश के जिन जिलों में मेडिकल कॉलेज नहीं है, वहां इस योजना पर काम होगा. विजयवर्गीय ने कहा कि इस योजना से स्वास्थ्य के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं का विकास होगा. यहां बता दें कि पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज खोलने का प्रस्ताव साल 2022 में तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल वाली सरकार में बना था. तब प्रस्ताव था कि निजी समूहों को 300 बेड का जिला या अन्य सरकारी अस्पताल दिया जाएगा. पहले चरण में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, बालाघाट और कटनी में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना का प्रस्ताव बना था. केंद्र की योजना के मुताबिक पीपीपी मोड पर बनने वाले हर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 100 सीट का प्रस्ताव था.
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