MP News: मध्यप्रदेश में आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच के लिए मुख्यमंत्री की अनुमति अनिवार्य होगी. सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में नए निर्देश सभी विभागों को जारी कर दिए हैं. शिवराज सरकार के आदेश पर विपक्ष में बैठी कांग्रेस हमलावर है. पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा है कि इस फैसले से भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियां पंगु बन जाएंगी और भ्रष्टाचार को खुला संरक्षण मिल जाएगा. 


भ्रष्टाचार की जांच के लिए शिवराज सरकार का बड़ा फैसला


5 मई को जारी आदेश के मुताबिक आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और वर्ग एक में शामिल अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार की सीधे जांच अब जांच एजेंसियों से नहीं हो सकेगी. इसके लिए मुख्यमंत्री की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है. आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों की जांच के लिए अभी तक जांच एजेंसियां स्वतंत्र थीं. प्रदेश में बढ़ते भ्रष्टाचार के मामलों पर कांग्रेस को एक नया मुद्दा हाथ लग गया.


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पूर्व सीएम कमलनाथ ने सरकार के फैसले पर बोला हमला


पूर्व सीएम कमलनाथ ने ताबड़तोड़ ट्वीट करते हुए निशाना साधा. जो चुनाव के समय नारा देते थे “ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा“ और जो भ्रष्टाचारियों को 10 फीट गहरे गड्ढे में डालने की बात करते थे, उन सभी ने मिलकर भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का पुख्ता इंतजाम कर दिया है. 







अब भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17 ए के तहत भ्रष्ट अधिकारियों , कर्मचारियों के लिए मुख्यमंत्री से लेकर प्रशासनिक विभाग की अनुमति अनिवार्य कर दी गयी है. मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने मोदी सरकार के इन निर्देशो को ताबड़तोड़ प्रदेश में लागू भी कर दिया है. 


इस निर्णय से भ्रष्टाचार निरोधक निरोधक एजेंसियों पंगु बन जाएगी, भ्रष्टाचार बेलगाम हो जाएगा, भ्रष्टाचार को खुला संरक्षण मिल जाएगा।सत्ता में आने के बाद भाजपा के तमाम नारे बदल गये है.
अब भाजपा का नया नारा “अबकी बार भ्रष्टाचार को संरक्षण देने वाली सरकार.”






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