CM Shivraj Praises Dindori DM: अगर प्रदेश का मुखिया किसी जिले के डीएम की तारीफ पब्लिक मंच से कर दे, तो यह मानने की कोई वजह होगी कि वो कुछ अलग और अच्छा करता होगा. हम बात कर रहे हैं एमपी के सुदूर पिछड़े जिले डिंडौरी की, जहां के डीएम विकास मिश्रा अपने कामकाज के तौर-तरीकों से इन दिनों सोशल मीडिया स्टार बने हुए हैं.


साल 2013 बैच के आईएएस विकास मिश्रा ने 9 नवंबर को राजधानी भोपाल से सीधे आकर आदिवासी जिले डिंडौरी के डीएम की कुर्सी संभाली थी. इसके बाद से ही वे अपनी नौकरी में जो करते हैं, वो सोशल मीडिया के साथ मेन स्ट्रीम मीडिया में भी सुर्खियां बन जाता है. बताते हैं कि डीएम मिश्रा सुबह 5.00 बजे तैयार होकर फील्ड में निकल जाते हैं. जमीन पर बैठकर ग्रामीणों की समस्याएं सुनते हैं और पीड़ित महिला के हाथ में अपना मोबाइल नंबर लिख देते हैं. 



कभी स्वागत कर रही बैगा आदिवासी महिलाओं के पैर छू लेते हैं, तो कभी वे बच्चों के बीच बैठकर चर्चा करने लगते हैं. बच्चों का जनरल नॉलेज बढ़ाने के लिए वे उन्हें केबीसी जैसा जीके का खेल भी खिलवाने लगते हैं. तभी तो निवाड़ी के कलेक्टर तरुण नायक को पद से हटाने के पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'डीएम हो तो विकास मिश्रा जैसा'.


एबीपी न्यूज़ ने जब विकास मिश्रा से पूछा कि वे क्या अलग करते हैं, जो इतनी तारीफ हो रही है? तो उन्होंने साफ कहा कि वे वही कर रहे हैं, जिसकी उन्हें तनख़्वाह मिलती है. चूंकि डिंडौरी में 80 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है, इसलिए डीएम को उनके पास ही जाना पड़ेगा. वह अपनी समस्याएं लेकर डीएम तक नहीं आ सकते. जिलाधिकारी विकास मिश्रा ने कहा कि अगर वह किसी बड़े जिले में जाएंगे तो हो सकता है, उनके काम करने का यह तरीका बदल जाए.





अब जानते हैं कि विकास मिश्रा ने कैसे डिंडौरी के लोगों के दिल में अपने लिए खास जगह बनाई है. यहां हम उनके किस्से बताने जा रहे हैं,जो उनकी लीक से हटकर की जा रही नौकरी का प्रमाण हैं.


1. सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए विकास मिश्रा ने 'कौन बनेगा करोड़पति' गेम शो की तर्ज पर प्रतियोगिता आयोजित की. बॉलीवुड स्टार अभिताभ बच्चन के प्रोग्राम की थीम पर बच्चों का क्विज रखा. कलेक्टर ने बच्चों से सवाल किए, जिसमें सही जवाब देने वाले बच्चों ने 300 से लेकर 1500 रुपये तक इनाम जीते.


2 .डिंडौरी कलेक्टर मिश्रा धनुआ सागर मॉडल स्कूल पहुंचे, तो वहां उनकी मुलाकात की 9वीं कक्षा के छात्र रुद्रप्रताप झारिया से हुई थी. कलेक्टर ने जब रुद्र से उसके जीवन का लक्ष्य पूछा तो उसने कहा कि मम्मी-पापा की इच्छा है कि मैं कलेक्टर बनूं. हमारे समाज में लोग मजदूरी कर जीवन जी रहे हैं. मुझे उनकी सहायता करनी है और अपने माता-पिता के सपनों को साकार करना है. कलेक्टर विकास मिश्रा ने दो दिन बाद रुद्रप्रताप को कलेक्ट्रेट बुलाकर अपनी कुर्सी पर बिठाया. उसे एक दिन का कलेक्टर बनाकर उसके मन में खूब पढ़ने का भाव जगाया.


3. कलेक्टर कुछ दिन पहले रात को पुरानी डिंडौरी में संचालित विशेष पिछड़ी जनजाति छात्रावास में अचानक पहुंच गए. उन्होंने छात्रावास में रह रहे छात्रों की समस्याएं सुनीं और उनके साथ बैठकर खाना भी खाया. हॉस्टल के छात्रों के साथ बैठकर कलेक्टर उनकी किताबों से पढ़ाते भी नजर आए और छात्रावास में आकर कोचिंग पढ़ाने वाले शिक्षकों की जानकारी ली. वहीं, स्टूडेंट्स से विषय से संबंधित प्रश्न भी कलेक्टर ने पूछे. इसके बाद सारे बच्चों को बैठाकर सामान्य ज्ञान के प्रश्न पूछते नजर आए.


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