नगर निगम जबलपुर में नगर सरकार का पहला सम्मेलन हंगामेदार रहा. सदन की पहली बैठक में ही पक्ष-विपक्ष दोनों ने अधिकारियों की क्लास ली. हालांकि सदन की यह बैठक सामान्य नहीं बल्कि धारा 30 के तहत बुलाई गई थी, जिसमें महापौर सहित सभी पार्षदों ने आरोप लगाया कि अधिकारी निरंकुश तरीके से काम कर रहे हैं. जबलपुर नगर निगम के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब नगर सत्ता की शुरुआत धारा 30 के तहत बुलाई गई विशेष बैठक से हुई है. सदन में इस दौरान कांग्रेस की नगर सरकार तथा बीजेपी के विपक्षी पार्षदों के बीच भी जमकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला और बैठक में जमकर हंगामा हुआ.
बैठक के दौरान विपक्ष की ओर से कहा गया कि नगर सरकार बने 2 महीने हो चुके हैं, लेकिन उसके बावजूद शहर में विकास के काम नजर नहीं आते हैं. इसके साथ ही कांग्रेस और बीजेपी के पार्षदों ने एक सुर में नगर निगम के अधिकारियों पर अपना गुस्सा निकाला. बैठक में पार्षदों का कहना था कि नगर निगम के अधिकारी मनमानी पर उतारू हो चुके हैं. वे किसी भी जनप्रतिनिधि की बात नहीं सुनते और यहां तक की पार्षदों के फोन तक नहीं उठा रहे हैं. ऐसे में जनता परेशान है और अधिकारी किसी भी जनसमस्या का समाधान करने को तैयार नहीं है.
बीजेपी के सीनियर पार्षद कमलेश अग्रवाल का कहना है कि ऐसे में नगर निगम के अधिकारियों की मनमानी पर लगाम लगाना बेहद जरूरी है. विपक्ष का यह भी कहना है कि बीजेपी के पार्षदों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर अगर सत्ता पक्ष ने काम नहीं किया तो आने वाले दिनों में आंदोलन किया जाएगा.
पार्षदों की ओर से उठाए गए इस मुद्दे पर महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू का कहना है कि निश्चित तौर पर पिछले 3 सालों में जबलपुर नगर निगम में नगर सरकार नहीं थी. प्रशासक के हाथों में इसकी बागडोर थी और पार्षदों पक्ष-विपक्ष दोनों के सदस्यों का मत है कि इसमें सुधार होना चाहिए. लिहाजा, अधिकारियों से बात कर इस मुद्दे को जल्द ही हल किया जाएगा.
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