MP News: 'कांग्रेस के निर्णायक आंदोलन के लिए...', जीतू पटवारी ने मोहन सरकार को किस मामले में दी चेतावनी?
Jitu Patwari News: पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा कि प्रस्तावित एथेन क्रैकर प्लांट के नजदीक ही बीजेपी नेता की 783 एकड़ से ज्यादा जमीन तो किसानों की जमीन अधिग्रहित क्यों की जा रही है.
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने एथेन क्रैकर प्लांट के लिए अधिग्रहित की जा रही किसानों की जमीन को लेकर प्रदेश सरकार को सीधी चेतावनी दी है. जीतू पटवारी ने कहा इस सरकारी दादागिरी का कांग्रेस विरोध करती है और सरकार से मांग करती है कि जबरन जमीन अधिग्रहण किसी भी कीमत पर नहीं किया जाए.
सोशल मीडिया हैंडल "एक्स" पर लिखा कि "मैं मुख्यमंत्री मोहन यादव से भी सीधे तौर पर मांग करता हूं कि सरकार अपने इस एक तरफ निर्माण पर तत्काल पुनर्विचार करें या फिर कांग्रेस की ओर से एक निर्णायक आंदोलन के लिए तैयार रहे. मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के आष्टा में प्रस्तावित एथेन क्रैकर प्लांट के लिए अधिग्रहित हो रही जमीन को बचाने के लिए किसान जान देने पर अड़े हुए हैं. प्लांट के लिए दो हजार एकड़ जमीन चिह्नित की गई है. इसमें 1,200 एकड़ सरकारी और 743 एकड़ किसानों की खेती की जमीन को चिह्नित किया गया है."
बीजेपी नेता की जमीन करें अधिग्रहित- पटवारी
जीतू पटवारी ने कहा कि "प्रस्तावित प्लांट के नजदीक ही कोहली एजुटेक प्राइवेट लिमिटेड की 783 एकड़ से ज्यादा जमीन है. 17 साल पहले 2007 में कोहली ने मप्र ट्रेड एंड इंवेस्टिव फैसिलिटेशन कॉरपोरेशन ट्राईफेक के साथ हुए एक समझौते के बाद यहां एजुकेशन सिटी के नाम पर ये जमीन खरीदी थी. संस्था के चेयरमैन बीजेपी नेता और मिजोरम के पूर्व राज्यपाल अमोलक रतन कोहली हैं. कोहली के बेटे नलिन कोहली बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. कोहली एजुटेक लिमिटेड संस्था ने 2006 में रजिस्ट्रेशन के बाद 2007 में ही यहां जमीन खरीदना शुरू कर दिया था."
पटवारी ने आगे लिखा कि "कोहली ने ग्रामीणों को सरकार से पट्टे पर मिली जमीन भी खरीदी थी. 60 हजार करोड़ के एथेन प्लांट के नजदीक बीजेपी नेता की इतनी जमीन होने के बावजूद किसानों की जमीन अधिग्रहित क्यों की जा रही है. किसानों का कहना है कि प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण करने से पहले सरकार ने बताया भी नहीं कि जमीन लेना है. यहां के किसानों के पास दो से तीन एकड़ की खेती है. सभी के दो से तीन बच्चे हैं. इसी खेती से परिवार का जीवन यापन हो रहा है. जमीन चली गई तो घर-बार सब कुछ यहीं छोड़कर जाना पड़ेगा."
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