Ujjain News: कांग्रेस प्रवक्ता का सांसद सिंधिया पर आरोप, कहा- महाकाल मंदिर का मनगढ़ंत इतिहास बताकर जनता को कर रहे गुमराह
ज्योतिरादित्य सिंधिया महाकाल मंदिर के पुराने फोटो को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इसके इतिहास का वर्णन किया. कांग्रेस प्रावक्ता राकेश सिंह यादव ने कहा मनगढ़ंत कहानियों से इतिहास बदलने का प्रयास कर रहे.
Madhya Pradesh News: उज्जैन (Ujjain) के महाकाल मंदिर में बनाए गए महाकाल लोक का मंगलवार को देश के प्रधानमंत्री ने लोकार्पण किया. वहीं बीजेपी (BJP0 के सांसद द्वारा महाकाल मंदिर के इतिहास को लेकर सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट को लेकर अब विवाद होता दिखाई दे रहा है. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) द्वारा उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में बनाए गए महाकाल लोक का लोकार्पण भव्य रूप में किया गया जिसे लेकर सोशल मीडिया पर जमकर पोस्ट किया गया. ऐसे में बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) महाकाल मंदिर के पुराने फोटो को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और इसके इतिहास का वर्णन किया. अब इसे लेकर कांग्रेस प्रवक्ता ने सिंधिया के पोस्ट पर कई सवाल खड़े किए हैं.
सिंधिया का दावा झूठा- राकेश सिंह यादव
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव ने सांसद सिंधिया पर तंज कसते हुए कहा हैं कि मनगढ़ंत कहानियों से इतिहास बदलने का प्रयास करना खिसियानी बिल्ली के खंबे नोचने जैसा प्रयास हैं. सांसद सिंधिया ने फेसबुक पर पोस्ट करके यह बताया हैं की महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार सन् 1732 में मराठा शूरवीर राणोजी राव सिंधिया ने मुगलों को पराजित करने के बाद किया. ऐसे में सिंधिया का यह दावा झुठा और तर्कहीन है. प्रदेश सचिव यादव के अनुसार पुरातत्व इतिहास का सच यह हैं की उज्जैन के महाकाल मंदिर का मुगल शासन के बाद जीर्णोद्धार पेशवा बाजीराव प्रथम के निर्देशों पर कराया गया था. इतिहास में तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट है की अठारहवीं सदी के चौथे दशक में उज्जैन में मराठा शासन स्थापित किया गया था. उज्जैन का प्रशासन पेशवा बाजीराव-प्रथम द्वारा अपने वफादार सेनापति राणोजी शिंदे (इसे वर्तमान में सांसद सिंधिया, शिंदे नहीं बोलकर सिंधिया बता रहे हैं) को सौंपा गया था.
इनकी संपत्ति से हुआ निर्माण
राणोजी के दीवान सुखानाकर रामचंद्र बाबा शेनवी थे जो बहुत अमीर थे लेकिन दुर्भाग्य से निर्दयी थे. इसलिए कई विद्वान पंडितों और शुभचिंतकों के सुझावों पर उन्होंने अपनी संपत्ति को धार्मिक उद्देश्यों के लिए निवेश करने का फैसला किया. इन्हीं की संपत्ति के माध्यम से महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ था. इस सिलसिले में उन्होंने अठारहवीं सदी के चौथे-पांचवें दशक के दौरान उज्जैन में प्रसिद्ध महाकाल मंदिर का पुनर्निर्माण किया. इसके बाद राजा भोज ने इस मंदिर को और भव्यता दी. इससे पहले पेशवा बाजीराव के निर्देश पर सेनापति राणोजी शिंदे ने पेशवा बाजीराव के शासन काल में महाकाल मंदिर का पुनर्निर्माण से लेकर ज्योतिर्गलिंग की पुनः स्थापना और सिंहस्थ पर्व स्नान की स्थापना की गई थी.
इतिहासकारों ने किया जिक्र
इसके पूर्व का इतिहास बताता हैं कि उज्जैन में 1107 से 1728 ई. तक यवनों का शासन था. इनके शासनकाल में 4500 वर्षों की हिंदुओं की प्राचीन धार्मिक परंपराओं-मान्यताओं को खंडित और नष्ट करने का प्रयास किया गया. 11वीं शताब्दी में गजनी के सेनापति ने मंदिर को नुकसान पहुंचाया था. इसके बाद सन् 1234 में दिल्ली के शासक इल्तुतमिश ने महाकाल मंदिर पर हमला कर यहां कत्लेआम किया उसने मंदिर भी नष्ट किया था. मुस्लिम इतिहासकार ने ही इसका उल्लेख अपनी किताब में किया है. धार के राजा देपालदेव हमला रोकने निकले वे उज्जैन पहुंचते इससे पहले ही इल्तुतमिश ने मंदिर तोड़ दिया. इसके बाद देपालदेव ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था.
फेसबुक पर पेश किया गया गलत तथ्य
इसका मतलब साफ और स्पष्ट हैं की वर्तमान में सांसद सिंधिया गलत और झुठे तथ्य फेसबुक के माध्यम से फैला रहे हैं. 1732 के पूर्व ही धार के राजा देपाल देव महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. इसके पश्चात पेशवा बाजीराव प्रथम ने जीर्णोद्धार कराया था. दोनों ने महाकाल जीर्णोद्धार में शिंदे या सिंधिया की भूमिका मात्र सेनापति या दीवान के तौर पर थी. इससे महाकाल मंदिर के जीर्णोद्धार पर दावा करना सौ प्रतिशत झुठ बोलना है. हालांकि, उज्जैन 1750 में शिंदें (वर्तमान सिंधिया) के हाथों में आया और 1810 तक जब दौलत राव सिंधिया ने ग्वालियर में अपनी नई राजधानी स्थापित की तब वह सिंधिया प्रभुत्व का प्रमुख शहर था. राजधानी को ग्वालियर स्थानांतरित करने से उज्जैन के वाणिज्यिक महत्व में गिरावट आई.
उज्जैन को हुआ नुकसान
वहीं बॉम्बे-बड़ौदा लाइन की उज्जैन-रतलाम-गोधरा शाखा के खुलने से संतुलन सही हुआ. मुख्य रूप से बंबई के साथ व्यापार की एक बड़ी मात्रा, ब्रिटिश भारतीय काल में कपास, अनाज और अफीम के माध्यम से मौजूद थी. उस दौर के सिंधिया ने उज्जैन से राजधानी ग्वालियर करके बड़ा नुकसान उज्जैन को पहुंचाया था. यह समस्त तथ्य सत्यापित इतिहास अनुसार सत्य है. गौरतलब है की ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा की गई पोस्ट को लेकर अब कांग्रेस द्वारा सिंधिया द्वारा बताए गए उज्जैन के महाकाल के इतिहास पर सवाल खड़े करते हुए सिंधिया पर ही निशाना साध रही है.