MP News: कोरोना से मरने वालों की संख्या को लेकर हमेशा से ही सरकार पर सवाल उठते आए हैं लेकिन अब मुआवजा राशि बांटे जाने के आंकड़े ने भी सरकारी आंकड़ों को झुठला दिया है. वर्तमान में जो सरकारी रिकॉर्ड पर कोरोना से मौत के आंकड़े दर्ज हैं, वह हकीकत से 25 फीसदी भी नहीं है. यह आरोप हम नहीं बल्कि सरकार द्वारा बांटी जा रही अनुग्रह राशि के आंकड़ों से लग रहे हैं. हालांकि इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने इस पर स्पष्टीकरण देते हुए इसके कारण बताये हैं. 


उज्जैन शहर की बात की जाए तो यहां पर अभी तक सरकारी रिकॉर्ड में 173 लोगों की पहली, दूसरी तथा तीसरी लहर में मौत का आंकड़ा दर्ज है, जबकि सरकार द्वारा बांटी जा रही अनुग्रह राशि की बात की जाए तो यहां पर 700 लोगों को साढ़े तीन करोड़ रुपए की राशि वितरित की जा चुकी है. इसके अलावा अभी 455 आवेदन पेंडिंग हैं. इससे स्पष्ट है कि सरकार द्वारा जो अनुग्रह राशि वितरित की जा रही है, उसके आंकड़े सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज मौत के आंकड़े से काफी अधिक है. यह केवल उज्जैन की हालत ही नहीं है बल्कि इंदौर में भी आंकड़ों की बाजीगरी के मामले सामने आ रहे हैं. इंदौर में कोरोना से मरने वालों की संख्या 1405 है जबकि अभी तक सरकार 2400 लोगों को ₹12करोड़ की अनुग्रह राशि बांट चुकी है, जबकि 4200 आवेदन अभी भी पेंडिंग हैं. अनुग्रह राशि वितरण प्रभारी और डिप्टी कलेक्टर गरिमा रावत के मुताबिक उज्जैन में 700 लोगों को राशि वितरित की गई है. शेष पेंडिंग आवेदनों पर कार्रवाई जारी है.


हमेशा उठते आए हैं प्रश्न


कोरोना से होने वाली मौत को लेकर हमेशा से प्रश्न उठते आए हैं. कोरोना पॉजिटिव के बाद कई लोग अस्पताल में दाखिल हुए लेकिन जब उनकी मौत हो गई तो उन्हें नेगेटिव बता दिया गया. इसी के चलते सरकारी रिकॉर्ड में आंकड़ा सीमित रखने में अधिकारी कामयाब हो गए मगर जब अनुग्रह राशि वितरित करने की बात सामने आई तो धीरे-धीरे सही आंकड़े सामने आने लगे. अभी पेंडिंग आवेदन का निराकरण होने के बाद आंकड़ा और भी ऊपर चला जाएगा.


पांच अधिकारियों की कमेटी कर रही है फैसला


अनुग्रह राशि के लिए सबसे पहले पीड़ित परिवार को फॉर्म भरना होता है. इसमें चिकित्सकीय रिपोर्ट से लेकर समस्त दस्तावेज शामिल किए जाते हैं. इसके बाद पांच अधिकारियों की कमेटी यह फैसला लेती है कि पीड़ित परिवार को अनुग्रह राशि दी जाना चाहिए या नहीं. ऐसी स्थिति में अनुग्रह राशि गलत लोगों को वितरित होने का कोई प्रश्न नहीं होता है लेकिन सरकारी आंकड़ों पर जरूर सवाल उठ रहे हैं.


आंकड़ों में इस फर्क पर इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि जिन लोगों की कोरोना पॉजिटिव होने के बाद घर या गांव में मौत हुई है उन्हें भी अनुग्रह राशि वितरित की जा रही है. कई लोग ऐसे थे जो पहली और दूसरी लहर में अस्पताल नहीं जाते हुए घर पर उपचाररत रहे थे. ऐसे लोगों के नाम पोर्टल पर नहीं चढ़ पाए हैं. इसी के चलते सरकारी रिकार्ड में आंकड़ा और अनुग्रह राशि वितरण के आंकड़े अलग- अलग हैं.


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