MP Council Minister Meeting: मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन (Ujjain) में पहली बार मंत्रिपरिषद की बैठक हुई. इस बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) द्वारा अपनी सीट पर भगवान महाकाल (Mahakal) के चित्र को विराजित करने के मामले पर कुछ पूर्व नौकरशाहों ने आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि यह प्रदेश के इतिहास में अभूतपूर्व था और इसे टाला जा सकता था. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने कहा कि यह अभूतपूर्व था और विभिन्न वर्गों से इसकी आलोचना होगी.


पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि यदि राज्य सरकार देवता के प्रति आभार व्यक्त करना चाहती थी तो बैठक में शामिल होने के बाद मंत्री उज्जैन में (भगवान शिव के महाकालेश्वर मंदिर) मंदिर जा सकते थे और आर्शीवाद ले सकते थे. वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव कृपाशंकर शर्मा ने कहा कि एक देवता का चित्र लगाना ‘‘ अभूतपूर्व ’’ था और इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसा करना सही बात नहीं है, भगवान हर जगह मौजूद हैं. इसे विशेष रुप से सरकार और प्रशासन में दिखाने की कोई आवश्यकता नहीं है. मेरी याद में यह अभूतपूर्व निर्णय था और इसका कोई औचित्य नहीं था. हमारा एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है, कल अन्य धर्मों के लोग भी सरकार से ऐसा करने की मांग करेंगे. उन्होंने कहा कि सेवारत नौकरशाहों को सरकार को यह बताना चाहिए था. 


वहीं एक अन्य सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहां पर संविधान का शासन है. उन्होंने कहा, ‘‘ सरकार को देवता का चित्र लगाकर मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. यदि अन्य धर्मों के लोग भी यह मांग करते हैं तो क्या वे (सरकार) यह काम करेंगे?’’ उन्होंने कहा कि भगवान के चित्र को लगाने से बचा जा सकता था, यह समाज के विभिन्न वर्गों से आलोचना को जन्म देगा.


कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि जब पार्टी सत्ता में थी (2018 से 2020 तक) उज्जैन में कैबिनेट की एक बैठक होने वाली थी लेकिन धार्मिक नेताओं द्वारा विचार विमर्श के बाद इसे रद्द कर दिया गया. एक लोकप्रिय मान्यता के अनुसार उज्जैन नगरी भगवान महाकालेश्वर द्वारा शासित है और सरकार का मुखिया अपनी अध्यक्षता में यहां बैठक नहीं कर सकता है. महाकालेश्वर मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है.


वहीं बीजेपी प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने बैठक में भगवान महाकाल के चित्र लगाने को सही ठहराया और कहा, ‘‘ सरकार/ प्रशासन समाज का हिस्सा है और उज्जैन में मंत्रिपरिषद की बैठक करना उचित है. यह भगवान महाकाल की छत्रछाया में प्रदेश के 7.5 करोड़ लोगों की ओर से की गई थी.’’ महामंडलेश्वर अतुलेशानंद (आचार्य शेखर) ने कहा, ‘‘ यह धार्मिक दृष्टिकोण से सही है. अब सरकार को मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए सभी फैसलों को पूरा करना होगा क्योंकि बैठक भगवान महादेव की उपस्थिति में हुई.’’ उन्होंने भगवान राम के भाई भरत को संदर्भित कर रामायण का उल्लेख किया जिन्होने भगवान राम के वनवास के अवधि के दौरान अयोध्या पर भगवान राम की ‘‘चरण पादुका’’ को राजगद्दी पर रखकर शासन किया था.


इसके अलावा जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी शैलेशानंद गिरी ने कहा, ‘‘ यह एक अच्छा संकेत है कि चौहान सरकार ने देवता के उपस्थिति में मंत्रि परिषद की बैठक आयोजित की. हमारे धर्म में ऐसे बहुत से उदाहरण हैं.’’


बता दें कि मंत्रिपरिषद की बैठक में आयताकार मेज के बीच भगवान महाकाल का एक बड़ा चित्र रखा गया था. वैसे मंत्रिपरिषद के बैठक के दौरान यह स्थान मुख्यमंत्री के लिए निश्चित रहता है. मंगलवार को हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री और प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस आयताकार मेज के भगवान महाकाल के चित्र के दाएं एवं बाएं बैठे थे. यह बैठक सम्राट विक्रमादित्य प्रशासनिक भवन में आयोजित की गई थी.


मंत्रिपरिषद ने मंगलवार को बैठक में नव विकसित महाकालेश्वर मंदिर गलियारे का नाम ‘‘ महाकाल लोक ’’ रखने का निर्णय लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर उज्जैन में 856 करोड़ रुपये लागत की महाकालेश्वर मंदिर गलियारा विकास परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन करेंगे. मध्य प्रदेश में नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं. मंत्रिपरिषद के बैठक में महाकाल भगवान का चित्र लगाने पर पूर्व नौकरशाहों ने तीखी प्रतिक्रिया दी जबकि सत्तारूढ़ भाजपा और हिंदू संतों ने इसे सराहा.


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