MP News: इंदौर के नाम नया रिकॉर्ड, देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में स्वच्छता पर हुई देश की पहली PhD
Indore News: रिसर्च में इंदौर के पिछले 223 साल के स्वच्छता के इतिहास को विस्तार के साथ उजागर किया गया है. इंदौर मैं स्वच्छता पर पहली बार काम साल 1800 में शुरू हुआ था.
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Madhya Pradesh News: देश में लगातार छह बार स्वच्छता को लेकर पहले स्थान पर आने के साथ ही इंदौर ने अब स्वच्छता पर रिसर्च करके एक नया रिकॉर्ड बना दिया है. ऐसे में शायद स्वच्छता पर देश की पहली पीएचडी इंदौर के देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्यनशाला ने करवाई है. खास बात यह है कि रिसर्ट में इंदौर की स्वच्छता का 223 सालों का इतिहास सामने आया है. पीएचडी रिसर्च का टाइटल 'इंदौर शहर में स्वच्छता के प्रति जागरूकता में मीडिया की भूमिका' है.
पिछले 6 सालों से देश में सबसे स्वच्छ शहर का खिताब जीत रहे इंदौर शहर के नाम स्वच्छता को लेकर एक और उपलब्धि जुड़ गई है. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एंव जनसंचार अध्यनशाला से स्वच्छता पर पहली पीएचडी हुई है. विभागाध्यक्ष डॉ सोनाली नरगुंदे के निर्देशन में जितेन्द्र जाखेटिया ने यह रिसर्च किया है. रिसर्च में जाखेटिया ने देश में चल रहे स्वच्छता अभियान पर इंदौर को केंद्रित कर अपना रिसर्च किया. डॉ. नरगुंदे ने बताया कि रिसर्च में स्वच्छता अभियान के इतिहास से लेकर अभी तक के सभी प्रयासों को शामिल किया गया है.
700 स्वच्छता कर्मियों ने भरी प्रश्नावली
रिसर्च में 700 लोगों खासकर स्वच्छता कर्मियों से प्रश्नावली भरवाई गई और 300 किताबों और आर्टिकल का गहन अध्ययन करने के बाद अपना रिसर्च कार्य किया गया. इंदौर के स्वच्छता अभियान संबंधी सभी कदमों को उपयोगिता के मापदंड पर परखने के लिए मध्य प्रदेश के अन्य 4 शहरों भोपाल, जबलपुर, उज्जैन, ग्वालियर से इंदौर की तुलना भी की गई. रिसर्च में इंदौर के पिछले 223 साल के स्वच्छता के इतिहास को विस्तार के साथ उजागर किया गया है. इंदौर मैं स्वच्छता पर पहली बार काम साल 1800 में शुरू हुआ था. 1810 में फैली प्लेग महामारी से लेकर वर्तमान काल तक के स्वच्छता के कार्यों को जगह मिली.
राजनेताओं ने भी स्वच्छता को बढ़ावा दिया
राजनीतिक माहौल का भी असर स्वच्छता अभियान पर साफ दिखाई दिया और यह सामने आया की नेता और अन्य राजनीतिक संबध वाले लोग अपने करीबियों को कार्रवाई से नहीं बचा रहे थे. वहीं दूसरी तरफ 2014 से सभी नेताओं ने खुद स्वच्छता को बढ़ावा दिया और स्वच्छता अभियान में बाधा बनने वाले लोगो का विरोध किया. गंदगी से फैलने वाली बीमारियों को ध्यान में रखकर निजी और सरकारी शौचालयों का निर्माण करवाया, लोगों से कचरा अलग-अलग कर डस्टबिन में डालने का आग्रह किया और मीडिया की मदद से जनता तक सभी जरूरी सूचनाएं पहुंचाई गई.
2017 से नंबर एक पर है इंदौर
रिसर्च में यह निष्कर्ष निकला कि मीडिया के माध्यम से ही जनता को हर महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध हुई. इससे जनता शिक्षित हुई और एक जन जागरण का आगाज हुआ, जिसमें राजनीतिक इच्छा शक्ति भी शामिल है. इंदौर को देश का सबसे स्वच्छ शहर बनाने के लिए जनता के व्यवहार में परिवर्तन में इस शहर के प्रिंट मीडिया ने सबसे अहम भूमिका निभाई. प्रिंट मीडिया के द्वारा जिस तरह से जनता को शिक्षित और जागरूक करने का काम किया गया उसी का परिणाम है कि साल 2017 में पहली बार जब इंदौर स्वच्छता में नंबर एक बना तो फिर तब से लेकर अब तक नंबर एक पर ही है.
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