MP News: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की एक अदालत ने जिले के सूरजपुराकलां माध्यमिक विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक को एक अतिथि शिक्षक से आठ साल पहले 2000 रुपये की रिश्वत लेने के मामले में पांच साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है. विशेष लोक अभियोजक केके गौतम के मुताबिक विशेष न्यायाधीश सुधांशु सिन्हा की अदालत ने 30 दिसंबर को रिश्वत लेने के आरोपी चन्द्रभान सेन को भ्रष्टचार रोकथाम अधिनियम के तहत 5 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई. अदालत ने आरोपी पर 30,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. उन्होंने कहा कि सजा सुनाये जाने के बाद सेन को जेल भेज दिया गया है.
लोक अभियोजक केके गौतम ने बताया कि लोक सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार किया जाना एक विकराल समस्या हो गई है, जो समाज को खोखला कर रही है. भ्रष्टाचार लोकतंत्र और विधि के शासन की नींव को हिला रहा है. ऐसे आरोपियों को सजा देते समय नरम रुख दिखाना कानून की मंशा के विपरीत है. भ्रष्टाचार के प्रति कठोर रुख अपनाया जाना समय की मांग है.
शिक्षक का करप्ट होना समाज के लिए घातक
विशेष लोक अभियोजक गौतम ने पैरवी करते हुए कहा कि शिक्षक समाज का प्रमुख अंग एवं मार्गदर्शक होता है. उन्होंने कहा कि यदि शिक्षक द्वारा ही भ्रष्टाचार किया जाने लगेगा तो समाज के लिए बहुत घातक होगा, इसलिए आरोपी को कठोर से कठोर सजा दी जाए. गौतम ने बताया कि लक्ष्मीकांत शर्मा ने 6 जनवरी 2015 को लोकायुक्त पुलिस सागर को शिकायत की थी. उन्होंने बताया कि शिकायत में उसने बताया था कि उसे अतिथि शिक्षक के पद पर ज्वाइन कराने के लिए चन्द्रभान सेन, सहायक शिक्षक एवं प्रभारी प्रधानाध्यापक, माध्यमिक विद्यालय सूरजपुराकलां द्वारा 2,000 रुपये रिश्वत की मांग की जा रही है.
गौतम ने बताया कि लोकायुक्त पुलिस ने सेन को 8 जनवरी 2015 को शर्मा से रिश्वत के 2000 रुपये लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया. उन्होंने बताया कि विवेचना के बाद मामला अदालत में पेश किया गया.