Ujjain Crime: उज्जैन के रिटायर्ड बैंक अधिकारी को साइबर ठगों ने किया डिजिटल अरेस्ट, खाते से उड़ाए 51 लाख रुपये
Ujjain Cyber Crime: उज्जैन से साइबर ठगी का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. इस मामले में पीड़ित ने उज्जैन पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए पुलिस ने ये अपील की है.
Ujjain Cyber Fraud News: धार्मिक नगरी उज्जैन के एक रिटायर्ड बैंक अधिकारी को सीबीआई अफसर बनकर डिजिटल अरेस्टिंग के माध्यम से 51 लाख रुपये की ठगी का सनसनीखेज मामला सामने आया है. इस मामले में माधव नगर थाना पुलिस ने शिकायत पर जांच शुरू कर दी है.
बदमाशों ने गाजियाबाद के एक बैंक में 51 लाख रुपये की नगदी ट्रांसफर करवा ली. माधव नगर थाना प्रभारी राकेश भारती ने बताया कि उनके पास सेठी नगर में रहने वाले रिटायर्ड बैंक अधिकारी राकेश कुमार जैन की ओर से एक शिकायती आवेदन मिला है.
डिजिटल अरेस्ट कर उड़ा 50.75 लाख
थाना प्रभारी राकेश भारती ने बताया कि इस शिकायत में उन्होंने 50 लाख 75 हजार रुपये की ठगी की शिकायत की है. उन्होंने बताया कि उनके पास 7 अगस्त को फोन आया था, जिसमें फोन करने वाले ने खुद को सीबीआई ऑफिसर बताकर उनसे बात की.
पीड़ित के मुताबिक, उन्हें फोन पर यह बताया गया कि उनके आधार कार्ड और मोबाइल नंबर से कई बैंक खाता ऑपरेट हो रहे हैं, जिसका उपयोग आपराधिक वारदातों में हुआ है. इसी वजह से उनको डिजिटल अरेस्टिंग कर ली गई है.
इसके बाद उन्हें झांसे में लेकर खाते से गाजियाबाद स्थित बंधन बैंक के खाते में 50 लाख 75 हजार रुपये ट्रांसफर कर लिए गए. जब यह राशि ट्रांसफर हो गई, इसके बाद उन्हें ठगी का एहसास हुआ. जिसके बाद उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों के साथ थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई.
साइबर ठगों ने दिया झांसा
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि रिटायर्ड बैंक अधिकारी राकेश कुमार जैन को ठगों जरिये कहा गया कि इस मामले में आरोपी की गिरफ्तारी के जल्द ही प्रयास किया जा रहे हैं.
जब असली अपराधी पकड़ा जाएगा तो उनकी 51 लाख रुपये की राशि वापस लौटा दी जाएगी. रिटायर्ड बैंक अधिकारी ने अपने खाते में 51 लाख रुपये की एफडी कराई थी, जिसे तोड़कर आरोपियों के खाते में राशि अंतरित की गई.
उज्जैन एसपी की ने की ये अपील
उज्जैन पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने बताया कि अपराधियों की धर पकड़ के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए साइबर सेल की मदद भी ली जा रही है, लेकिन उन्होंने लोगों को सावधान किया है.
उन्होंने कहा है कि इस प्रकार का अगर डिजिटल अरेस्टिंग और डिजिटल फ्रॉड के संबंध में कोई भी फोन कॉल आए तो उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है. ऐसे मामलों में पुलिस की मदद ली जा सकती है.
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