MP News: मध्य प्रदेश में साइबर अपराध की जांच और अपराधियों की धरपकड़ के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से सबूत हासिल करने राज्य साइबर सेल की लैब में एक्सपर्ट तैनात हैं. यह एक्सपर्ट्स हर साल एडवांस सॉफ्टवेयर की मदद से औसतन 900 से ज्यादा गैजेट्स मोबाइल और कम्प्यूटर आदि से डाटा की रिकवरी करते हैं. अब 13 जिलों जिसमें ग्वालियर, खंडवा, रतलाम, उज्जैन, खरगोन, जबलपुर, बालाघाट, सागर, शहडोल, मुरैना, होशंगाबाद, रीवा और इंदौर में फॉरेंसिक लैब शुरू की गई है.


जिला स्तर पर ही डाटा हासिल करना होगा हासिल 


लैब के शुरू होने से जिला स्तर पर ही डाटा हासिल करना आसान होगा. अगर इसमें परेशानी आती है तो मोबाइल या अन्य गैजेट्स को राज्य साइबर सेल भेजा जाएगा. यह बता दें राज्य साइबर सेल की फॉरेंसिक लैब एकमात्र नोटिफाइड लैब है. राज्य साइबर सेल एडीजी योगेश देशमुख बताते हैं कि साइबर अपराधियों की धरपकड़ के लिए अपराध में उपयोग लाए गए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की जांच अहम है. इसके चलते जांच अधिकारियों समेत अन्य पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाता है. लैब में कार्यरत एक्सपर्ट्स को एडवांस्ड ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है.


साइबर फॉरेंसिक लैब में एएसपी और डीएसपी समेत एसआई स्तर के कई अधिकारियों ने बतौर एक्सपर्ट केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग में 15 दिन की ट्रेनिंग ली है. इन्हें आधुनिकतम तकनीक से रूबरू कराया गया है.


चुनौती भी कम नहीं


क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी डार्क नेट पर मुहैया होने के मामले सामने आने के बाद साइबर क्राइम की जांच और कठिन हुई है. डार्क नेट पर आईपी एड्रेस सर्च कर जानकारी निकालने में समय लगता है. साइबर अपराधी लेटेस्ट तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. खराब हो चुके गैजेट्स से डाटा रिकवर करने में कई दिन लग जाते हैं.


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