MP Dev Badla Temples: परमार कालीन ऐतिहासिक तथ्यों के खुदाई में मिल रहे अवशेष 2016 से प्रारंभ हुआ था. इस खुदाई के काम में अभी तक 4 मंदिर मिल चुके हैं, जिनमें सबसे बड़ा शिव मंदिर आकर्षण का केंद्र है. मां नेवज नदी के उद्गम स्थल के पुरातात्विक धरोहर देवांचल धाम देव बड़ला बिलपान में खुदाई के दौरान परमार कालीन मंदिरों के अवशेष मिल रहे हैं. हाल ही में यहां पर चौथा मंदिर मिला है जो अब तक मिले मंदिरों में सबसे बड़ा प्रतीत हो रहा है. इसकी खुदाई का काम जारी है जिसकी जानकारी मंदिर समिति के अध्यक्ष ओंकार सिंह भगतजी और कुंवर विजेंद्र सिंह भाटी ने दी है.  


बता दें कि राजधानी भोपाल से लगभग 125 किलोमीटर दूर स्थित इस क्षेत्र में खुदाई का काम 2016 से किया जा रहा है. पुरातत्व विभाग का कहना है कि देवबड़ला परमार कान में प्रसिद्ध संस्कृतिक केंद्र था, वहां परमार काल यानी 10वीं 11वीं शताब्दी में लगभग 11 मंदिरों का निर्माण हुआ था. मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग अब इन मंदिरों को खोदकर निकाल रहा है और उन्हें मूल स्वरूप में संरक्षित कर रहा है. पुरातत्वविद डॉ. रमेश यादव ने बताया कि साल 2016 में सीहोर के तत्कालीन कलेक्टर डॉ.पी सुदामा खांडे ने तत्कालीन आयुक्त पुरातत्व भोपाल अज्ञात शत्रु श्रीवास्तव को यहां के बारे में जानकारी दी गई थी.


करीब 9-10 मंदिर हैं दबे हुए


इसके बाद आयुक्त ने उन्हें निरीक्षण के लिए भेजा था,निरीक्षण में पता चला कि इस स्थल पर 9-10 मंदिर दबे हुए हैं. जिन्हें खुदाई कर संरक्षित किया जा सकता है तब विभाग द्वारा खुदाई करने पर पहला मंदिर मिला था. जिसे करीब 35 लाख रुपये की लागत से उसके मूल स्वरूप में संरक्षित किया है. यह मंदिर 52 फीट ऊंचा है इसके बाद साल 2018-19 में दूसरा मंदिर 2019-20 में तीसरा मंदिर खुदाई में मिला. साल 2021-22 में विभाग को एक और मंदिर का अवशेष मिला है. यह अब तक प्राप्त हुए सभी मंदिरों में आकार में सबसे बड़ा है, इसे आधा खोदकर निकाला जा चुका है.


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पहले मंदिर को कर लिया है संरक्षित 


इस चौथे मंदिर को मिलाकर अभी तक विभाग को दो शिव मंदिर एक विष्णु मंदिर और एक देवी का मंदिर मिला है. पहले मंदिर को संरक्षित किया जा चुका है, दूसरे मंदिर के संरक्षण का काम शुरू हो गया है. तीसरे मंदिर को पुनर्स्थापित करने के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाई जा रही है.


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