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MP News: यहां पूजा करने से सात जन्मों के दोष मिट जाते हैं, जानिए अभी चर्चा में क्यों?
धार्मिक नगरी उज्जैन में साधु संतों ने शिप्रा शुद्धिकरण के बाद एक बार फिर रामादल अखाड़ा परिषद के बैनर तले शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. यहां जानिए पूरा मामला.
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MP News: धार्मिक नगरी उज्जैन में साधु संतों का अधिकतर समय पूजा पाठ के स्थान पर धरना और प्रदर्शन में निकल रहा है. यह देखकर आम लोग ही नहीं बल्कि अधिकारी भी चकित हैं. दूसरी तरफ साधु संत अपनी मांगों को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. शिप्रा शुद्धिकरण के बाद अब सप्तसागर के शुद्धिकरण और विकास को लेकर रामादल के साधु-संतों ने मोर्चा खोल दिया है.
उल्लेखनीय है कि साधु-संतों ने हाल ही में शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर दत्त अखाड़ा घाट पर धरना दिया था. इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने साधु संतों के साथ बैठक की और उन्हें शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर कार्य योजना बनाने का आश्वासन भी दिया. अभी इस पर काम चल रहा है और रामा दल के साधु-संतों ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
रामा दल के रामदास महाराज ने बताया कि पुराणों में सप्तसागर का काफी महत्व है.अधिक मास के दौरान सप्तसागर में पूजा अर्चना करने के लिए देशभर के श्रद्धालु आते हैं लेकिन इन सप्तसागर की हालत बेहद दयनीय हो गई है. रामा दल के साधु-संतों ने सप्तसागर के विकास और अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर धरना दे दिया है.
रामा दल के ज्ञान दास महाराज ने बताया कि अधिकारियों से कई बार सप्तसागर के विकास को लेकर आग्रह भी किया गया लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. इसी के चलते साधु संतों को धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है. साधु संतों के मुताबिक जब तक सप्त सागरों के विकास को लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं बनेगी, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा. रविवार को साधु संतों का समर्थन करने के लिए कांग्रेस नेत्री नूरी खान भी गोवर्धन सागर पर पहुंच गई. नूरी खान ने साधु संतों की मांगों को जायज ठहराया.
सप्तसागर का प्राचीन इतिहास
पंडित अमर डिब्बा वाला के मुताबिक सप्त सागर का काफी प्राचीन और पौराणिक महत्व है. स्कंद पुराण के अवंति खंड के मुताबिक सप्तसगर को देवताओं ने प्रकट किया है. गोवर्धन सागर को भगवान गोवर्धन प्रकट किया है जबकि विष्णु सागर, पुरुषोत्तम सागर, रूद्र सागर, क्षीर सागर, रत्नसागर की उत्पत्ति लेकर भी अलग-अलग देवताओं का उल्लेख है. अधिक मास के दौरान यहां पर पूजा -अर्चना से सात जन्मों के दोषों से मुक्ति मिलती है.
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