'मैं एक मतदाता हूं और मेरा अधिकार है...', हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद दिग्विजय सिंह ने EVM पर उठाया सवाल
MP News: दिग्विजय सिंह ने कहा, 'हरियाणा विधानसभा चुनावों में डाक मतपत्रों की गिनती में 90 में से 76 सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की, जबकि ईवीएम में पड़े वोट की गिनती में पार्टी की जीती सीट 37 रह गईं.'
Digvijaya Singh on EVM: हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार (11 अक्टूबर) को एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा ईवीएम की मौजूदा व्यवस्था के कारण मतदाता के रूप में उनका संवैधानिक अधिकार छिन चुका है. उन्होंने यह दावा भी किया कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तरह हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी डाक मतपत्रों की गिनती में कांग्रेस अधिकांश सीटों पर जीती थी.
दिग्विजय सिंह ने इंदौर में मीडिया से कहा, "मैं एक मतदाता हूं और मेरा संवैधानिक अधिकार है कि मैं जिसे चाहूं, वोट उसी उम्मीदवार के खाते में जाए. मैं अपने हाथ से मतपत्र को मतपेटी में डालूं और इस तरह डाले गए मतों की 100 फीसद गिनती हो. यह मेरा संवैधानिक अधिकार है जो ईवीएम की मौजूदा व्यवस्था से छिन चुका है. एमपी में नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान डाक मतपत्रों की गिनती में 230 में से 199 सीट पर कांग्रेस जीती. जबकि ईवीएम में पड़े वोट की गिनती में पार्टी केवल 66 सीट हासिल कर सकी."
हरियाणा चुनाव पर क्या बोले दिग्विजय सिंह?
दिग्विजय सिंह ने कहा, हाल के हरियाणा विधानसभा चुनावों में डाक मतपत्रों की गिनती में 90 में से 76 सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की. जबकि ईवीएम में पड़े वोट की गिनती में पार्टी की जीती सीट 37 रह गईं. उन्होंने यह भी कहा कि "देश के मुस्लिम समुदाय की आबादी को लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है. राज्यसभा सदस्य ने कहा, आप (पिछले दशकों में हुई) जनसंख्या के आंकड़े देख लीजिए, देश में हिंदुओं के मुकाबले मुसलमानों की जनसंख्या में ज्यादा तेजी से गिरावट आ रही है."
कांग्रेस नेता ने देश में जाति के आधार पर जनगणना और सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण किए जाने की वकालत की. उन्होंने कहा, इन कदमों से विभिन्न जाति-उपजातियों के सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन की सही जानकारी मिल सकेगी और इस जानकारी के बूते उनके विकास की योजनाएं बनाई जा सकेंगी. दिग्विजय सिंह ने एक सवाल पर कहा कि वह उद्योगपति रतन टाटा को मरणोपरांत 'भारत रत्न' दिए जाने की मांग से सहमत हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भारत की संसदीय राजनीति में 'एक देश, एक चुनाव' की अवधारणा को अमली जामा पहनाया जाना संभव नहीं है.
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