MP News: मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (Inder Singh Parmar) ने अनोखा ज्ञान दिया है. उन्होंने कहा है कि अमेरिका की खोज कोलंबस ने नहीं की बल्कि अमेरिका की खोज हमारे पूर्वजों यानी भारतीय ने की है. बकरतुल्ला यूनिवर्सिटी के कॉन्वोकेशन कार्यक्रम में इंदर सिंह ने 'सूर्य के स्थिरता' के सिद्धांत को लेकर भी दावा किया कि आठ हजार साल पहले ऋगवेद में इसका जिक्र है. उन्होंने कहा कि दूसरे देशों ने अपने हिसाब से भारत में अपनी मान्यताओं को स्थापित किया है. 


इंदर सिंह परमार ने कहा, ''कोलंबस ने अमेरिका की खोज की और भारत के विद्यार्थियों का इससे कोई लेना देना नहीं था. बाद में वहां के समाज में कोलंबस के बाद के लोगों ने अत्याचार किया और जनजातीय समाज को नष्ट करने का काम किया. क्योंकि वहां का समाज प्रकृति पूजक था. सूर्य का उपासक था. उनकी हत्या की गई और उनका मतांतरण किया गया. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रूप से सही तथ्य नहीं पढ़ाया गया.''


सही इतिहास पढ़ाया जाना चाहिए था- इंदर सिंह
इंदर सिंह ने आगे कहा, ''बल्कि भारतीय विद्यार्थियों को यह पढ़ाया गया कि कोलंबस ने अमेरिका की खोज की. मैं यह कहना चाहता हूं कि किसी को लिखना था तो यह लिखना चाहिए था कि भारत का महानाविक वसुलुन आठवीं शताब्दी में वहां जाता है और अमेरिका स्थित सैन डियागो में कई मंदिर का निर्माण करता है. ये वहां के संग्राहलय में आज भी तथ्य रखे हुए हैं अभी यह किसी को पढ़ाना ही होता तो सही पढ़ाना था कि अमेरिका की खोज हमारे पूर्वजों ने की है.''






सूर्य के स्थिर होने के सिद्धांत पर यह बोले इंदर सिंह
मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री ने आगे कहा, ''कॉपरनिकस ने जो सूर्य़ के स्थिर होने के सिद्धांत के बारे में कहा. सूर्य स्थिर है और सारे ग्रह उसके चक्कर लगाते हैं. लेकिन हमारे ऋगवेद में आठ हजार साल पहले लिखा गया है कि चंद्रमा मातृ ग्रह पृथ्वी के चक्कर लगाता है. मातृ ग्रह पृथ्वी अपने पितृ ग्रह सूर्य़ के चक्कर लगाती है यानी हमारे पूर्वजों ने पहले ही सूर्य को स्थिर माना है. आज का वैज्ञानिक दृष्टिकोण जो कहता है, हमारे पूर्वजों ने पहले ही शास्त्रों में लिख रखा है."


भारत में साढ़ पांच हजार साल पहले के स्टेडियम मिले हैं- इंदर सिंह
इंदर सिंह परमार ने आगे कहा, ''दुनिया के देशों ने अपने हिसाब से भारत में कई सारे प्रचलन और मान्यताओं को स्थापित किया है. उस पर विचार की आवश्यकता है. कहा जाता है कि ओलिंपिक की शुरुआत 2800 साल पहले हुई और स्टेडियम बनाने का काम हुआ. खेल की सामूहिक भावना पैदा हुई लेकिन हमारे देश में गुजरात के कच्छ के रण में खुदाई में साढ़े 5000 साल पहले के दो बड़े स्टेडियम मिले हैं यानी हमारे पूर्वज पहले से स्टेडियम के बारे में जानते थे.''


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