MP Assembly Election 2023: मिशन 2023 फतह करने में जुटी पार्टियों के लिए आगर मालवा का गणित काफी दिलचस्प है. मध्य प्रदेश के शाजापुर से अलग होकर जिला बने आगर मालवा में 2 विधानसभा सीटें हैं लेकिन राजनीतिक रस्साकशी सबसे ज्यादा देखने को मिलती है. आगर विधानसभा सीट पर एक अजीब टोटका हावी है. मान्यता है कि एक बार आगर से विजेता प्रत्याशी को दूसरी बार पराजय मिलती है. इसलिए राजनीतिक पार्टियों पर डर हमेशा बना रहता है. राजनीतिक पार्टियां लगातार उम्मीदवारों को बदलते रहती हैं. हालांकि इस बार का मुकाबला दिलचस्प होने वाला है. 


दिलचस्प है आगर मालवा का राजनीतिक गणित


सागर की सीमा राजस्थान, मंदसौर, नीमच, शाजापुर, उज्जैन जिलों से लगी हुई है. आगर जिले की राजनीति भोपाल नहीं बल्कि दिल्ली से चलती है. जिला भले ही छोटा हो मगर यहां पर राजनीतिक कद किसी का छोटा नहीं है. यही वजह है कि कई बार विधानसभा चुनाव का टिकट भी दिल्ली से फाइनल हुआ है. राजनीति से जुड़े लोग बताते हैं कि आगर जिले की सीट पर लगातार प्रत्याशियों को बदलने का सिलसिला जारी रहता है. कहा जाता है कि दूसरी बार चुनाव लड़नेवाली प्रत्याशी की जीत की राह कठिन होती है. इसलिए राजनीतिक पार्टियां लगातार प्रत्याशी बदलती रहती हैं. वैसे आगर विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है मगर उपचुनाव में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी विपिन वानखेड़े ने जीत दर्ज कराई है.


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दूसरी बार चुनाव में प्रत्याशी को नहीं मिलती जीत


विधानसभा चुनाव 2018 में विपिन वानखेड़े मनोहर ऊंठवाल से 2490 मतों से हार गए थे. साल 2020 में हुए उपचुनाव में मनोज ऊंठवाल को कांग्रेस के विपिन वानखेड़े ने हराकर जीत हासिल की है. विधायक विपिन वानखेड़े इस बार भी आगर सीट से प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. उन्हें कांग्रेस अपनी ओर से प्रत्याशी बनाएगी जबकि बीजेपी से पूर्व विधायक रेखा रत्नाकर और मनोज ऊंठवाल को मैदान में उतारा जा सकता है. इसके अलावा पूर्व विधायक लालजी राम और गोपाल परमार भी बीजेपी की ओर से दावेदार हैं.


आगर जिले के सुसनेर विधानसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है. साल 2018 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी विक्रम सिंह राणा ने 75804 मत हासिल कर कांग्रेस के प्रत्याशी महेंद्र सिंह परिहार को 27062 मतों से हराकर विजेता बने थे. चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे. बाद में विधायक विक्रम सिंह राणा ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली. इस बार बीजेपी विक्रम सिंह राणा पर दांव लगा सकती है. विधायक विक्रम सिंह राणा के सामने एक बार फिर कांग्रेस महेंद्र सिंह परिहार को मैदान में उतार सकती है. विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी और कांग्रेस के बागी को एक तरफा वोट मिले थे, इसलिए इस बार बीजेपी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेगी.