Amit Shah MP Visit: तीन दिन के दौरे में अमित शाह ने दिए जीत के 10 मंत्र, लेकिन असली फैसला मतदाता के हाथ में
MP Assembly Election 2023: अमित शाह ने दिए हैं ने बीजेपी कार्कर्ताओं को कांग्रेस के नाराज नेताओं और बागी उम्मीदवारों पर भी डोरे डालने के निर्देश दिए हां. इससे कई सीटों पर 5% तक फायदा मिल सकता है.
Amit Shah MP Visit: भारतीय जनता पार्टी (BJP) का साल 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सबसे बड़ा स्लोगन है 'एमपी के मन में मोदी हैं'. अब यह देखना है कि क्या सचमुच में एमपी के मन में मोदी हैं? इसका खुलासा 3 दिसंबर को होगा, जब 17 नवंबर को हुए मतदान के नतीजे सामने आएंगे. अब क्योंकि पार्टी के चुनाव अभियान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) हासिये पर डाल दिए गए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) का चेहरा सबसे आगे है, तो जीत की रणनीति बनाने का जिम्मा केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह (Amit Shah) के कंधे पर है.
पिछले तीन दिन में अमित शाह ने मध्य प्रदेश के तमाम बड़े इलाकों की न केवल खाक छानी बल्कि चुनाव की रणनीति बनाते हुए संगठन को जीत का मंत्र भी दिया.
इस खबर में आगे जानेंगे कि गृहमंत्री अमित शाह ने विधानसभा चुनाव के मुताबिक पॉलिटिकल एवं एडमिनिस्ट्रेटिव कसावट के लिए क्या लोकल लीडरशिप और कदर को क्या संदेश दिया है. राजनीतिक जानकार कहते है कि गृहमंत्री अमित शाह ने अपने तीन दिन के मध्य प्रदेश दौरे के दौरान 10 प्रमुख संदेश दिए हैं, जिन पर अमल को जीत की गारंटी माना जा सकता है.
1. अमित शाह का सबसे बड़ा संदेश यह था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के काम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव अभियान को आगे बढ़ाया जाएगा.
2. चुनाव के दौरान जीत-हार में सरकारी मशीनरी का भी बड़ा महत्वपूर्ण रोल होता है.इसलिए गृहमंत्री अमित शाह ने भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को साफ कहा कि अपने लोगों को समझा दीजिए.उनका इशारा साफ तौर पर डिस्ट्रिक्ट लेवल पर तैनात आल्हा पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली को लेकर था.
3. साल 2018 के चुनाव में बीजेपी को बागियों ने बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाया था.इसलिए इस बार पार्टी टिकट वितरण के बाद उपजे असंतोष को लेकर कोई बड़ा जोखिम नहीं लेना चाहती है. प्रभावशाली बागी नेताओं से अमित शाह ने अपने दौरे के दौरान सीधे वन टू वन बातचीत भी की. पार्टी की स्टेट लीडरशिप को भी कहा गया है कि बागी नेताओं और कार्यकर्ताओं को हर हाल में मनाया जाए.
4. अमित शाह ने एक और बड़ा मंत्र दिया है कि जिन इलाकों में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का प्रभाव है, वहां उनके उम्मीदवारों को बैक डोर से भरपूर मदद की जाए. पार्टी संगठन का मानना है कि वोटो के बंटवारे से बीजेपी को कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा फायदा होगा.
5. पार्टी की सबसे बड़ी चिंता अपने कैडर की नाराजगी को लेकर है. निचले लेवल का कार्यकर्ता विधायकों और मंत्रियों से बेहद नाराज बताया जा रहा है.संगठन और उम्मीदवारों को अमित शाह ने संदेश दिया है कि बूथ लेवल एवं पन्ना लेवल के कार्यकर्ताओं को हर हाल में खुश करके केवल 'कमल चुनाव चिन्ह' को देखने के लिए मोटिवेट किया जाए.
6. मध्य प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नाराज नेताओं और बागी उम्मीदवारों पर भी डोरे डालने के निर्देश गृहमंत्री अमित शाह ने दिए हैं. पार्टी का अनुमान है कि इससे कई सीटों पर 2% से 5% तक वोटो का फायदा बीजेपी को हो सकता है.
7. तीन मंत्रियों सहित सात सांसदों को पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा है. इलेक्शन कैंपेन के दौरान इन सात सांसदों को अगले सीएम पद का दावेदार बताने की सोशल मीडिया मुहिम पर भी गृहमंत्री अमित शाह ने जोर दिया ताकि वे अपनी सीट जीतने के साथ ही आसपास की सीटों पर भी बीजेपी के पक्ष में माहौल बना सकें.
8. अंदरूनी तौर पर यह भी कहा गया है कि स्थानीय स्तर पर जो अधिकारी पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ काम करे,उसकी रिपोर्ट तुरंत राजधानी भोपाल में संगठन को की जाए ताकि समय रहते उसका समाधान किया जा सके.
9. टिकट से वंचित पार्टी के बड़े नेताओं को योग्यता एवं वरिष्ठता के आधार पर सरकार बनने पर पद देने का आश्वासन भी दिया गया है.उनसे कहा गया है कि वह पार्टी हित में काम करें ताकि सरकार बनने पर सबकी नाराजगी दूर की जा सके.
10. सरकार और संगठन के बड़े नेताओं तक आम कार्यकर्ताओं की पहुंच ना होने का मुद्दा भी अमित शाह के सामने कई बार आया. इस मसले को भी गंभीरता से लेने के निर्देश गृहमंत्री अमित शाह अपने दौरे के दौरान देकर गए हैं.
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे कहते हैं कि बीजेपी के चाणक्य और गृहमंत्री अमित शाह के मध्य प्रदेश दौरे में जो संगठनात्मक कसावट की गई है, उसके बेहतर नतीजे बीजेपी के चुनाव प्रचार में दिखने लगा है. कई असंतुष्ट और बाकी नेता मान भी गए हैं लेकिन असली चुनौती 18 साल की एन्टी इनकम्बेंसी से निपटने की है, जिसका फैसला आम मतदाता के हाथ में होता है.
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