MP Election 2023: बीजेपी और कांग्रेस के भाग्य का फैसला करेगा दलित और आदिवासी वोट बैंक, ग्वालियर बना राजनीति का शक्ति केंद्र
MP Election: साल 2018 के विधानसभा चुनाव का शंखनाद धार्मिक नगरी उज्जैन से हुआ था. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद चुनावी शंखनाद किया था. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी उज्जैन जिले के तराना विधानसभा से परिवर्तन यात्रा शुरू की थी.
MP Politics : मध्य प्रदेश का दलित और आदिवासी वोट बैंक इस बात का फैसला करेगा कि एमपी में विधानसभा चुनाव 2023 में किसका डंका बजेगा. यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही संत रविदास की जयंती पर एक साथ ग्वालियर में चुनावी शंखनाद करने जा रही है. तख्ता पलटने के बाद अब ग्वालियर राजनीति का शक्ति केंद्र बनता जा रहा है.
वैसे तो मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में 84 सीटें आदिवासी और दलित वर्ग के लिए आरक्षित हैं, लेकिन इन्हीं 84 सीटों पर जिसने कब्जा जमाया है, उसी का राज मध्यप्रदेश में रहा है. एमपी में एससी की 35 ओर एसटी की 47 सीटें हैं. 84 सीटों के अलावा एमपी में दलित और आदिवासी वोट बैंक दूसरी सीटों पर भी अपना प्रभाव डालता है. इसी वजह से बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही संत रविदास जयंती के अवसर पर ग्वालियर से चुनावी शंखनाद करने जा रही है.
बीजेपी और कांग्रेस का चुनावी शंखनाद एक ही दिन
कांग्रेस की ओर से जहां पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ संत रविदास जयंती के अवसर पर थाटीपुरा में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे. तो दूसरी तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी रविदास जयंती के अवसर पर आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में बीजेपी का चुनावी शंखनाद करेंगे. ग्वालियर की विकास यात्रा को यहीं से शुरू किया जाएगा.
धार्मिक नगरी उज्जैन के बाद ग्वालियर बना शक्ति केंद्र
साल 2018 के विधानसभा चुनाव का शंखनाद धार्मिक नगरी उज्जैन से हुआ था. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद चुनावी शंखनाद किया था. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी उज्जैन जिले के तराना विधानसभा से परिवर्तन यात्रा शुरू की थी. इस बार दोनों ही पार्टियां ग्वालियर को शक्ति केंद्र मानकर वहीं से चुनावी शंखनाद कर रही हैं. ग्वालियर चंबल में 34 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2018 में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था, जिसकी बदौलत एमपी में सरकार बनी थी.
आदिवासी वोट बैंक पर भी निगाह
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा टंट्या भील को लेकर आयोजित कार्यक्रम के साथ-साथ पैसा एक्ट लागू करना भी यह बताता है कि आदिवासी वोट बैंक पर सत्तारूढ़ पार्टी की निगाहें हैं. इसके अलावा विपक्ष भी हमेशा से ही आदिवासी वोट बैंक के जरिए एमपी में सत्ता के दावे करते आए हैं. इस प्रकार इस बार आदिवासी और दलित वोट बैंक पर दोनों ही बड़ी राजनीतिक पार्टियों की निगाहें हैं. दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने भी मध्य प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. ऐसे में आम आदमी पार्टी भी दलित और आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर सकती है.