MP Election 2023: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2023 के मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव (PARLIAMENTRY ELECTION 2024) में मुसलमान वोटरों को साधने के लिए मिशन मोड में एक नया प्रोग्राम शुरू किया है.इस प्रोग्राम में मुसलमानों के सूफी विचारधारा के कम्युनिटी लीडर्स के साथ संवाद किया जा रहा है.कार्यक्रम के दौरान उन्हें सम्मानित भी किया जा रहा है.
भारतीय जनता पार्टी के आनुषंगिक संगठन अल्पसंख्यक मोर्चा द्वारा पूरे प्रदेश में मुसलमानों के बीच 'सूफी संवाद' किया जा रहा है.इस संवाद के माध्यम से बीजेपी की रीति-नीतियों के साथ यह भी बताने का प्रयास किया जा रहा है कि पार्टी मुसलमानों के खिलाफ नहीं है.मोर्चा के पदाधिकारी स्थानीय मस्जिद,मदरसा,दरगाह और खांनखां के मुतवल्ली,सज्जादानशीन, पीर,हाकिम तथा मुस्लिम आलिमों की बैठकें करके पार्टी को लेकर उनके मन मे उपजे संदेह को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.
जबलपुर में हुए 10 प्रोग्राम
जबलपुर में सूफी संवाद के संयोजक रहे पूर्व पार्षद रिजवान अहमद अंसारी ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि इस तरह के 10 कार्यक्रम जबलपुर शहर में आयोजित किए जा चुके हैं.सूफी संवाद कार्यक्रमों का मुस्लिम समाज में अच्छा मैसेज आ रहा है.उन्होंने कहा कि अगले महीने जून माह में बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा का राज्य स्तरीय सम्मेलन भोपाल में होने वाला है, जिसमें अनेक मुतवल्ली, सज्जादानशीन,आलिम, हाकिम, पीर आदि भाग लेंगे.
यह देश सभी जाति-धर्म के लोगों का- एस के मुद्दीन
राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के पदाधिकारी एस के मुद्दीन का कहना है कि यह देशव्यापी प्रोग्राम है और इसके माध्यम से भारतीय जनता पार्टी एक बड़े मुस्लिम वर्ग के बीच तमाम भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास कर रही है.असल में मुस्लिम मंच का भी यही संदेश है कि राष्ट्रवादी मुसलमानों के लिए इस देश में चिंता या घबराने जैसी कोई बात नहीं है. यह देश राष्ट्र से प्रेम करने वाले सभी जाति धर्म के लोगों का है.
पसमांदा मुसलमानों पर फोकस
जबलपुर के वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र दुबे कहते हैं कि पिछले दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक साफ संकेत दे चुके हैं कि बीजेपी के लिए मुसलमान अछूत नहीं है. क्योंकि साल 2023 और 2024 में बीजेपी को देश में बड़े चुनाव का सामना करना है,इसलिए उसने पसमांदा मुसलमानों के बीच पैठ बनाने के लिए 'सुफिज्म' का सहारा लिया है. भारतीय जनता पार्टी की असली चिंता यही है कि हिंदू वोटों में बिखराव के चलते उसे बिना मुस्लिम वोटों में पैठ बनाएं आगे अपनी सत्ता को बचाए रखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा.
पीएम मोदी ने दी थी नसीहत
यहां बताते चले कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल आयोजित बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 2023 के 5 राज्यों के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव का एजेंडा लगभग साफ कर दिया था.इस दौरान उन्होंने जीत का नया मंत्र देते हुए कहा था कि पसमांदा मुसलमानों को पार्टी से जोड़ा जाये.उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं को नसीहत देते हुए यह भी कहा था कि मुस्लिम समाज के बारे में गलत बयानबाजी न करें.सभी धर्मों और जातियों को साथ लेकर चलें.पीएम ने कहा कि कोई हमें वोट दे या न दें, लेकिन सबसे संपर्क बनाएं.अब बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा की 'सूफी संवाद' के बहाने सक्रियता को पीएम मोदी के उसे मंत्र से जोड़कर देखा जा रहा है.पसमांदा मुसलमानों में करीब 44 जातियां शामिल हैं.
25 प्रतिशत सीटों पर असर
बात मध्यप्रदेश की करें तो यहां की 7 सीटें पसमांदा बाहुल्य हैं.जबकि 5 जिलों में इनके वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं.जबलपुर पूर्व,भोपाल उत्तर और भोपाल मध्य विधानसभा सीट के अलावा प्रदेश की 25 फीसदी सीटों पर मुस्लिम वोट बैंक बड़ी भूमिका निभाता है.जबलपुर पूर्व,जबलपुर उत्तर-मध्य, भोपाल की नरेला विधानसभा,इंदौर-एक,ग्वालियर दक्षिण,उज्जैन उत्तर,बुरहानपुर, शाजापुर, देवास, रतलाम सिटी, मंदसौर, खंडवा, खरगोन, देपालपुर,रीवा, सतना, सागर में भी मुस्लिम वोटरों का अच्छा खासा प्रभाव है.