MP Politics: मध्य प्रदेश में कांग्रेस को अब अगर कमलनाथ कांग्रेस कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. एक समय कई क्षत्रपों में बंटी इस पार्टी में अब केवल कमलनाथ ही एकमात्र और स्वीकार्य नेता बन चुके हैं. अब यह तय हो चुका है कि कांग्रेस 2023 का विधानसभा चुनाव पीसीसी चीफ कमलनाथ की अगुवाई में ही लड़ेगी, तो उन्होंने भी संगठन पर अपनी पकड़ मजबूत करनी शुरू कर दी है. माना जा रहा है कि अगले महीने प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक कांग्रेस के संगठन में आमूलचूल परिवर्तन होने वाला है.
मध्य प्रदेश में नवंबर 2023 में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. इसके पहले ग्राउंड लेवल पर कमलनाथ संगठन को मजबूत करने के अभियान में जुटे हैं. मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र दुबे कहते हैं कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कमलनाथ भली-भांति जानते हैं कि उनका मुकाबला कैडर बेस पार्टी बीजेपी और उसके पीछे चट्टान की तरह खड़ी आरएसएस से है. इसलिए उन्हें मुकाबले के लिए जमीनी स्तर पर मेहनती और विरोधी दल से लड़ने वाले कार्यकर्ताओं की फौज चाहिए होगी.
जनवरी से मैदान में उतर जाएगी कमलनाथ की नई टीम
इसी वजह से अब कमलनाथ अपनी कार्यकारिणी में बड़ा फेरबदल करने जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि जनवरी में नई टीम मैदान में उतर जाएगी. कांग्रेस की वर्तमान कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष, महासचिव और सचिव समेत अन्य पदाधिकारियों की संख्या 150 से ऊपर है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि इनमें से आधे नई टीम से बाहर हो जाएंगे. कमलनाथ नई कार्यकारिणी में अनुभवी लोगों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपना चाहते हैं, क्योंकि 2018 के चुनाव से पहले उनका इस तरह का प्रयोग सफल हो चुका है. चुनाव लड़ने वाले लोग संगठन की जिम्मेदारियों से मुक्त किए जाएंगे. हालांकि, अंतिम फैसला एआईसीसी और केंद्रीय नेतृत्व ही लेगा.
नई टीम में 40-45 पदाधिकारियों के हाथों में चुनावी कमान होगी.अधिकांश संगठन से जुड़े अनुभवी नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जिसमें अपवाद स्वरूप विधायक का चुनाव लड़ने वाले भी हो सकते हैं.वर्तमान कार्यकारिणी में 2020 में हुए उपचुनाव तक नेताओं के नाम जुड़ते रहे,जिससे उसका स्वरूप तो बड़ा हो गया,लेकिन संगठन की स्थिति कमजोर होती गई.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक फिलहाल डॉ. गोविंद सिंह नेता प्रतिपक्ष और पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी हैं. उन्हें उपाध्यक्ष के दायित्व से मुक्त किया जा सकता है. कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी, बाला बच्चन, रामनिवास रावत और सुरेंद्र चौधरी हैं. इन्हें भी संगठन के काम से मुक्त किया जा सकता है.क्योंकि पटवारी, बच्चन और रावत तीनों विधानसभा चुनाव लड़ेंगे.
राजा पटेरिया को कांग्रेस से निष्कासित करने की तैयारी?
इसी तरह कमलेश्वर पटेल और नर्मदा प्रसाद प्रजापति पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं. दोनों विधायक हैं और अगला विधानसभा चुनाव भी लड़ेंगे. इसलिए उन्हें संगठन से हटाया जाना तय है. उन्हें चुनाव की तैयारियों के लिए फ्री हैंड दिया जा रहा है. इसी तरह उपाध्यक्ष राजा पटेरिया को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद पार्टी से बाहर करने की तैयारी है.
इसी तरह 5-6 विधायकों की महामंत्री पद से छुट्टी हो सकती है. सागर जिले की देवरी विधानसभा से हर्ष यादव विधायक और संगठन में महामंत्री भी हैं. वहीं, सचिन यादव खरगोन जिले की कसरावद से विधायक और महामंत्री हैं. उनके साथ सिद्धार्थ कुशवाहा सतना जिले से विधायक हैं, जिन्हें महामंत्री पद की भूमिका से मुक्त किया जाएगा. मुलताई से सुखदेव पांसे और खिलचीपुर से प्रियव्रत सिंह भी विधायक के साथ संगठन में महामंत्री का दायित्व निभा रहे हैं. माना जा रहा है कि इन्हें भी संगठन से बाहर करके विधानसभा चुनाव तैयारी में जुड़ने को कहा जाएगा.