MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में विधानसभा चुनाव के लिए भले ही एक साल से ज्यादा का वक्त हो, मगर दोनों प्रमुख राजनीतिक दल- सत्ताधारी बीजेपी (MP BJP) विपक्षी कांग्रेस (MP Congress) की चुनाव को लेकर कदमताल तेज होती जा रही है और अब वे पूरी तरह चुनावी मोड में भी आ गए हैं. कांग्रेस जहां उम्मीदवारी के लिए जमीनी सर्वे करा रही है तो वहीं बीजेपी नेताओं का फीडबैक जुटाने में लगी है. राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनावों से दोनों ही राजनीतिक दल सीख लेते नजर आ रहे हैं और किसी भी तरह की चूक के लिए तैयार नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस चुनाव में कांग्रेस भले कुछ बढ़त हासिल कर सत्ता में आ गई थी, मगर दोनों ही राजनीतिक दलों को बहुमत नहीं मिला था.


बीजेपी पूरी तरह सतर्क
पिछले चुनाव में 230 विधायकों वाली विधानसभा में कांग्रेस 114 और बीजेपी 109 स्थानों पर जीत हासिल कर पाई थी, मगर निर्दलीय और सपा-बसपा के समर्थन के चलते कांग्रेस ने सरकार बनाई थी. आगे चलकर कांग्रेस के भीतर बगावत हुई और वर्ष 2020 में सरकार गिर गई. परिणामस्वरुप बीजेपी को डेढ़ साल बाद फिर सत्ता संभालने का मौका मिला. राज्य में सत्ता की कमान बीजेपी के हाथ में जरूर है मगर वर्ष 2023 के चुनाव को लेकर पार्टी पूरी तरह सतर्क है क्योंकि उसे वर्ष 2018 के नतीजे अब भी याद हैं. बीजेपी की वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद ताकत बढ़ी है क्योंकि कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी में हैं. इसके अलावा दो दर्जन से ज्यादा तत्कालीन विधायक भी बीजेपी का दामन थाम चुके हैं.


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बूथ मजबूत करने पर जोर
उपचुनावों में भी बीजेपी को बड़ी सफलता मिली है तो वहीं राष्ट्रपति के चुनाव के दौरान कांग्रेस के 17 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की. कुल मिलाकर बीजेपी की स्थिति मजबूत है मगर उसे इस बात की चिंता सताए जा रही है कहीं विधानसभा चुनाव में वर्ष 2018 जैसी स्थिति न बन जाए. बीजेपी के संगठन के मुखिया विष्णु दत्त शर्मा पूरे प्रदेश मैं दौरे कर रहे हैं और संगठन की मजबूती के अभियान में लगे हुए हैं. उनका सबसे ज्यादा जोर बूथ की मजबूती पर है. पार्टी ने अभी हाल ही में हुए नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों को भी गंभीरता से लिया है क्योंकि 16 नगर निगमों में से कांग्रेस के महापौर पद के उम्मीदवार पांच स्थानों पर जीते हैं तो दो स्थान अन्य को गए हैं.


कांग्रेस ने भी तेज की तैयारी
बीजेपी की खास नजर उन लोगों पर है जो बगावत कर सकते हैं या जो पार्टी के खिलाफ गतिविधियों में शामिल हैं. यही कारण है कि लगातार ऐसे लोगों पर पार्टी कार्रवाई कर रही है. तो दूसरी ओर जमीनी फीडबैक भी जुटाया जा रहा है. इसी के आधार पर आगामी विधानसभा चुनाव के उम्मीदवार भी तय होंगे. एक तरफ जहां बीजेपी अपनी जमावट को पुख्ता करने में लगी है तो दूसरी ओर कांग्रेस ने भी जमीनी तैयारियां तेज कर दी हैं. कमलनाथ ने जिले स्तर पर प्रभारी और सह प्रभारियों की नियुक्ति की है साथ ही सर्वे का कार्य भी तेज कर दिया है और उन्होंने पिछले दिनों हुई बैठक में भी साफ कर दिया है कि जो सर्वे में नाम आएंगे उन्हें ही चुनाव मैदान में उतारा जाएगा.


कांग्रेस को बगावत का डर
कमलनाथ के तेवर भी इन दिनों तल्ख हैं और वे पार्टी के नेताओं को हिदायतें भी दे रहे हैं, साथ ही उन्होंने उन लोगों पर नजर पैनी कर दी है जो पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इतना ही नहीं उन्हें अब भी इस बात का डर है कि कहीं पार्टी में फिर बगावत न हो जाए. राजनीतिक विष्लेषकों का मानना है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में राज्य में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होगा. यही कारण है कि दोनों दल अभी से फूंक-फूंककर कदम बढ़ाने में लगे हैं. लिहाजा दोनों दल अपने-अपने तरह से चुनावों की तैयारी कर रहे हैं, जो दल चुनाव जितनी एकजुटता से लड़ेगा, सफलता भी उसी के खाते में आएगी. जहां बगावत होगी, नुकसान भी उसे ही होगा.


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