MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव का मतदान हुआ, जिसका नतीजा 3 दिसंबर को आने वाला है. ऐसे में मध्य प्रदेश में तीन दिसंबर को जिसकी सरकार बनेगी, उसे 3.85 लाख करोड़ रुपए का कर्ज विरासत में मिलेगा. इस लिहाज से देखा जाए तो प्रदेश के हर नागरिक पर फिलहाल 47 हजार रुपए का कर्ज है. सरकारी खजाने से साल का 20 हजार करोड़ रुपये सिर्फ ब्याज चुकाने में जा रहा है. साफ है कि नई सरकार के लिए खस्ताहाल खजाने से अपनी लोक-लुभावन चुनावी घोषणाओं को पूरा करने के लिए बड़ी चुनौती सामने आने वाली है.
यहां बताते चलें कि मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के परिणाम 3 दिसंबर को आने हैं. मतदान के बाद सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) और विपक्षी कांग्रेस (Congress) की ओर से सरकार बनाने का दावा किया जा रहा हैं. हालांकि,वोटर का फैसला 3 दिसम्बर को आएगा लेकिन सूबे में सरकार किसी भी पार्टी की बने, उसे विरासत में खाली खजाना मिलेगा. फिलहाल सरकार के ऊपर 3.85 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है. करंट फाइनेंसियल बजट के मुताबिक सरकार की आमदनी 2.25 लाख करोड़ है और खर्च इससे 54 हजार करोड़ अधिक है.अब नई सरकार को वर्तमान बजट से अधिक राशि की आवश्यकता होगी.
क्या कर्ज में डूबी है मध्य प्रदेश सरकार?
मध्यप्रदेश शासन का वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट 3.14 लाख करोड़ रुपए का है. इसका तकरीबन 26.2% हिस्सा वेतन, भत्ते और ब्याज की अदायगी में ही चला जाता है. अकेले वेतन-भत्ते को देखें तो वित्तीय वर्ष खत्म होने तक 56 हजार 314 हजार करोड़ रुपये से अधिक इस पर खर्च होंगे. यह बजट का 18.64% होता है. वहीं, पेंशन पर बजट का 18 हजार 636 करोड़ रुपए यानी 6.17% और ब्याज पर 22 हजार 850 करोड़ रुपये यानी 7.56% खर्च होगा.
बता दें कि अभी मध्यप्रदेश सरकार पर जितना कर्ज है, उस लिहाज से देखा जाए तो हर नागरिक पर 47 हजार रुपए का कर्ज है.जानकार बताते है कि पिछले 23 सालों में प्रति व्यक्ति कर्ज 42000 बढ़ गया है.साल 2001-02 में प्रदेश पर 23 हजार करोड़ रुपए का कुल कर्ज था.जनसंख्या के हिसाब से प्रतिव्यक्ति बमुश्किल 3,500 हजार रुपए का कर्ज था.दरअसल, 31 मार्च 2023 को खत्म वित्तीय वर्ष में सरकार पर 3.31 लाख करोड़ का कर्ज था,जो 2023-24 के अंत तक 3.85 लाख करोड़ रुपए होगा.23 सालों में प्रदेश के हर एक व्यक्ति पर 44 हजार करोड़ रुपए का कर्ज बढ़ गया.
कर्ज लेने पर कांग्रेस ने उठाए थे सवाल
शिवराज सरकार की तरफ से लगातार कर्ज लेने पर कांग्रेस ने समय-समय पर सवाल भी उठाया. कमलनाथ सरकार में वित्त मंत्री रहे हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के हर व्यक्ति पर कर्ज का बोझ बढ़ा दिया है. हालांकि, भनोत यह भी कहते हैं कि कांग्रेस की सरकार बनने पर बेहतर ढंग से राज्य के खजाने को मजबूत किया जाएगा. वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी यह सवाल पूछे जाने पर लगातार कहते रहे हैं कि आरबीआई की गाइडलाइन के मुताबिक ही कर्ज लिया गया है.
बताया जाता है कि प्रदेश सरकार सालाना 20 हजार करोड़ रुपए ब्याज देती है. जीएसटी लागू होने के बाद से राज्य के पास नए टैक्स लगाने की गुंजाइश बेहद सीमित रह गई है. ऐसे में सरकार किसी भी बने, उसके लिए अर्थव्यवस्था को गतिमान बनाए रखने के साथ वित्तीय प्रबंधन बड़ी चुनौती होगी.
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