Shivraj Singh Chouhan in MP Election 2023: चुनाव के मैदान में चेहरे की सबसे ज्यादा अहमियत होती है. हालांकि, इस बार के चुनाव में यह साफ नहीं है कि अगर बीजेपी जीत हासिल करती है तो मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन बनेगा. कहा ये जा रहा है कि बीजेपी इस बार सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी लेकिन सवाल ये है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान फिर से सीएम बनेंगे या नहीं? इस सवाल के बीच शिवराज सिंह चौहान के दिल की बात लगातार सामने आ रही है. एक दो नहीं, बल्कि पूरे तीन बार सीएम शिवराज प्रदेश की अलग-अलग जगहों पर जनता को संबोधित करते हुए इमोशनल हुए हैं. 


शिवराज सिंह चौहान जनता से ही पूछ रहे हैं कि उन्हें सीएम बनना चाहिए या नहीं. कभी बहनों से कह रहे हैं, 'तुम्हारा भाई चला जाएगा तो बहुत याद आएगा.' कभी जनता से पूछते हैं कि उन्हें आगामी चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं? वहीं कभी जनता से ये सवाल कर देते कि उन्होंने सरकार अच्छे से चलाई या नहीं? फिर सीएम बनना चाहिए कि नहीं? 


बीजेपी केंद्रीय ने फाइनल नहीं किया शिवराज सिंह का टिकट
जैसे-जैसे चुनावी तारीख नजदीक आ रही है, शिवराज सिंह चौहान जनता के साथ इमोशनल कार्ड खेलते नजर आ रहे हैं. एक बार फिर अपने भविष्य का फैसला उन्होंने जनता की अदालत पर छोड़ दिया है. उन्होंने एमपी के डिंडोरी में पूछा कि उन्हें दोबारा सीएम बनना चाहिए या नहीं? इसी बीच शिवराज सिंह चौहान का टिकट भी अभी तक फाइनल नहीं हुआ है. उनके लड़ने पर भी सस्पेंस बना हुआ है. सीएम पद का चेहरा भी उन्हें नहीं बनाया गया है.


इस बारे में जब शिवराज सिंह चौहान से बात की गई तो उन्होंने फिर सियासी पैंतरा फेंक दिया. उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ेंगे तो जनता से पूछकर ही तो लड़ेंगे. ये परिवार की बात है, इससे समझने के लिए काफी गहरी दृष्टि चाहिए. 


शिवराज सिंह चौहान के नाम पर क्यों बना है सस्पेंस?
आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है जब शिवराज सिंह चौहान ने इमोशनल कार्ड खेला हो. इससे पहले सीहोर में भी वो ऐसा कुछ कर चुके हैं. वहां भी उन्होंने मंच से जनता से पूछा कि सीहोर से चुनाव लड़ें या नहीं? इसपर वहां 'मामा मामा' के नारे लगने लगे. शिवराज सिंह चौहान यूं तो प्रदेश की सियासत बदलने का दावा कर रहे हैं, लेकिन इस बार अटकलें खुद उन्हें बदले जाने की हैं.


ये कयास क्यों लगाए जा रहे हैं क्योंकि मध्य प्रदेश में बीजेपी 79 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर चुकी है. इनमें से शिवराज सिंह चौहान का नाम नहीं है. बीजेपी ने तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को मैदान में उतार दिया है लेकिन शिवराज सिंह की सीट घोषित नहीं की गई है. 


40 मिनट के भाषण में पीएम ने नहीं लिया शिवराज का नाम
बीजेपी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कर रही है लेकिन मुख्यमंत्री होने के बावजूद शिवराज सिंह को चेहरा नहीं बनाया जा रहा है. पीएम मोदी 25 सितंबर को जब भोपाल में थे तो पूरे 40 मिनट का भाषण दिया, लेकिन न शिवराज सिंह का जिक्र किया न ही उनकी सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं की तारीफ की. आमतौर पर राज्यों में मौजूदा सीएम ही चुनावों का चेहरा होता है लेकिन एमपी का चुनाव इस बार बीजेपी अलग अंदाज में लड़ने की तैयारी में है. बीजेपी अभी तक पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ रही है. ऐसे में सीएम शिवराज जनता के बीच में जाकर भावुक हो रहे हैं और अपनी योजनाएं गिनवा रहे हैं. 


सीएम शिवराज के इमोशनल होने की क्या है वजह?
मालूम हो, साल 1990 में शिवराज सिंह चौहान बुधनी से जीत हासिल कर पहली बार विधायक बने. इसके अलावा, 5 बार लोकसभा सांसद रहे. इतना ही नहीं, बतौर मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे लंबा अनुभव भी शिवराज के पास है. अब बीजेपी में जिस तरह के समीकरण बन रहे हैं, ऐसे में शिवराज सिंह चौहान पर संशय के बादल छाए हुए हैं. शिवराज सिंह चौहान के सियासी कद की रफ्तार जरूर धीमी पड़ी है, लेकिन जिस तरह से वह जनता के बीच जा रहे हैं, ये बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है. 


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