मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को आज विंध्य इलाके से एक और बड़ा झटका लगा है. विंध्य का शेर कहे जाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी के पोते सिद्धार्थ तिवारी आज कांग्रेस का दामन छोड़ दिया.उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली है. सिद्धार्थ तिवारी रीवा लोकसभा सीट से वर्ष 2019 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी सिद्धार्थ तिवारी को रीवा से विधानसभा का टिकट दे सकती है.


भोपाल में सीएम शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता दिलवाई. सिद्धार्थ तिवारी रीवा लोकसभा सीट से वर्ष 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. सिद्धार्थ तिवारी के साथ पन्ना की गुन्नौर सीट से पूर्व विधायक फुंदरलाल चौधरी भी बीजेपी में शामिल हो गए. कहा जा रहा है कि अभय मिश्रा के बाद सिद्धार्थ तिवारी के बीजेपी में जाने से कांग्रेस को विंध्य में ब्राह्मण वोटों का नुकसान हो सकता है. वैसे,सिद्धार्थ तिवारी को कांग्रेस से टिकट के लिए न कह दिया गया था.


भोपाल में बीजेपी दफ्तर में सिद्धार्थ तिवारी ने कहा कि उन्होंने भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी की विचारधारा से प्रभावित होकर यह निर्णय लिया है. देश और प्रदेश का जो विकास भाजपा के शासनकाल में हुआ है,उसके कारण वे भाजपा में शामिल हो रहे है. उन्होंने कहा कि आज हर देशभक्त युवा यही बोलेगा कि मोदी जी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है.


यहाँ बताते चले कि विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित होने के पहले विंध्य में कांग्रेस को पूर्व विधायक अभय मिश्रा और उनकी पत्नी नीलम मिश्रा ने झटका देते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया था .इसके बाद बड़ा सवाल उठा था कि मिश्रा दंपत्ति ने घर वापसी क्यों की? दरअसल,अभय मिश्रा ने पीसीसी चीफ कमलनाथ को एक पत्र लिखकर रीवा जिला कांग्रेस प्रभारी और पूर्व सांसद प्रताप भानु शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए थे.
कमलनाथ को दिए लेटर में उन्होंने लिखा है कि प्रताप भानु शर्मा, सेमरिया से बीजेपी विधायक केपी त्रिपाठी के सगे भाई के रिश्ते में मामा ससुर हैं.वे रिश्तेदारी निभा रहे हैं.बीजेपी विधायक के कहने पर कांग्रेस से ऐसे कैंडिडेट्स को टिकट दिलाना चाहते हैं, जिससे बीजेपी को जीतने में आसानी हो.इसके बाद अभय मिश्रा और उनकी पत्नी नीलम मिश्रा ने बीजेपी जॉइन कर ली.


यहां बताते चले कि साल 2018 के चुनाव में विंध्य इलाके की 30 सीटों में से बीजेपी को 26 सीट मिली थी. इस बार पुराने नतीजे को दोहराना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है.वहीं, कांग्रेस में नेताओं की बढ़ती नाराजगी उसकी राह कठिन कर सकती है.