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MP Election 2023: जब उत्तर प्रदेश के मंत्री बने मध्य प्रदेश के CM, जानिए MP के मुख्यमंत्रियों के जीवन से जुड़े कुछ रोचक किस्से

MP Elections 2023: कैलाश नाथ काटजू 1937 में उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में न्याय, उद्योग एवं विकास मंत्री थे. इसके बाद 31 जनवरी 1957 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए.

MP Election 2023: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है. प्रदेश में 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा, जबकि 3 दिसंबर को मतों की गणना होगी. तीन दिसंबर को तय हो जाएगा कि, प्रदेश की सत्ता किस राजनीतिक पार्टी के हाथों में होगी. इस चुनावी माहौल में प्रदेश के कुछ मुख्यमंत्रियों के जीवन से जुड़ी रोचक जानकारी आज हम आपको बता रहे हैं. 

उत्तरप्रदेश के मंत्री बने एमपी के सीएम
कैलाश नाथ काटजू का जन्म 17 जून 1887 को जावरा में हुआ. साढ़े 13 साल की उम्र में मैट्रिक उत्तीर्ण होकर 1907 में एमए, एलएलबी की परीक्षाएं उत्तीर्ण की. 1913 में एलएलएम और 1919 में इलाहबाद विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लॉ की डिग्री प्राप्त की. सात साल तक कानपुर में वकालत करने के बाद 1914 में इलाहाबाद म्युनिसिपल कौंसिल के चेयरमैन बने. 1937 में उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में न्याय, उद्योग एवं विकास मंत्री बनाए गए.

1947 से जून 1948 तक उड़ीसा और जून 1948 से 1951 तक पश्चिम बंगाल के गर्वनर पद पर पदस्थ रहे. 1951-52 में केन्द्रीय मंत्रीमंडल में गृह एवं विधि मंत्री के तौर पर कार्य किया. इसके बाद 31 जनवरी 1957 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए. काटजू 31 जनवरी 1957 से 14 अप्रैल 1957 और 15 अप्रैल 1957 से 11 मार्च 1962 तक प्रदेश के सीएम रहे. 17 फरवरी 1988 को उनका निधन हो गया. 

कैलाश जोशी के त्यागपत्र देते ही यह बने थे सीएम
वीरेन्द्र कुमार सखलेचा का जन्म 04 मार्च 1930 को हुआ. बीए, एलएलबी की शिक्षा ग्रहण करने के बाद 1953 में महू नगर में साढ़े तीन वर्ष तक वकालत की. वकालत छोड़कर फरवरी 1957 में जनसंघ के टिकट पर जावद विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. साल 1962 से 1967 तक विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे. 31 जुलाई 1967 को गोविंद नारायण सिंह के मंत्रिमंडल में उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. 26 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा के बाद गिरफ्तार किए गए.

वर्ष 1977 के आम चुनाव में विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. 27 जून 1977 को मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल में मंत्री पद की शपथ ली. कैलाश जोशी द्वारा त्यागपत्र दिए जाने के बाद 17 जनवरी 1978 को जनता विधायक दल के नेता चुने गए और 18 जनवरी 1978 को मुख्यमंत्री बने. 18 जनवरी 1978 से 19 जनवरी 1980 तक उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर रहकर कार्य किया. 31 मार्च 1999 को उनका निधन हो गया. 

जब कांग्रेस की सरकार पर भारी पड़ी साध्वी
उमा भारती का जन्म 03 मई 1959 को ग्राम डूंडा जिला टीकमगढ़ में हुआ. छोटी उम्र से ही उन्होंने कथा करना शुरू कर दिया. उन्हें कथावाचक के रूप में प्रसिद्धि मिल गई. इसके बाद उन्होंने किशोरा अवस्था में ही साध्वी रहना तय किया. बाद में हिन्दु संगठन के संपर्क में आने पर बीजेपी में शामिल हुईं और 1989, 1991, 1996, 1998 में और 1999 में लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुईं.

1998-99 में केन्द्र में राज्य मंत्री मानव संसाधन विकास और 13 अक्टूबर 1999 से 2 फरवरी 2000 तक पर्यटन राज्य मंत्री रहीं. साल 2003 में केन्द्रीय नेतृत्व ने उमा भारती को मध्य प्रदेश भेजा और उन्होंने इस चुनाव में जीत हासिल की. 8 दिसंबर 2003 से 23 अगस्त 2004 तक वे मुख्यमंत्री रहीं. चार मई2006 को विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दिया. वर्तमान में बीजेपी नेता के तौर पर सक्रिय हैं. 

नपाध्यक्ष बने दो बार सीएम
दिग्विजय सिंह का जन्म 28 फरवरी 1947 को इंदौर में हुआ. बीई (मैकेनिकल) से डिग्री करने के बाद 1969-71 में राद्यौगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष निर्वाचित हुए. 1977 में छठवीं विधानसभा में विधायक चुनाव जीता. 1980 में सातवीं विधानसभा में सदस्य निर्वाचित होकर कांग्रेस सरकार में सिंचाई, कृषि, मत्स्य पालन तथा पशुपालन विभागों के राज्यमंत्री रहे.

1984 में आठवीं एवं 1991 में दसवीं लोकसभा में सांसद निर्वाचित हुए. प्रदेश कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष बनाए गए. सात दिसंबर 1993 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए. 07 दिसंबर 1993 से 01 दिसंबर 1998 और 01 दिसंबर 1998 से 07 दिसंबर 2003 दस साल तक मुख्यमंत्री रहे. वर्तमान में राज्यसभा सांसद है.

ये भी पढ़ें: MP Election 2023: मध्य प्रदेश में 67 BJP विधायकों के टिकट पर लटकी तलवार, चारों लिस्ट में नाम न आने से बढ़ी परेशानी

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