Madhya Pradesh Vidhan Sabha Chunav 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (MP election) की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है. राज्य में सियासी तापमान भी बढ़ता जा रहा है. सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से एक दूसरे के खिलाफ जमकर शब्द बाण चलाए जा रहे हैं. अब तो गद्दार, खुद्दार और बंटाधार जैसे शब्दों के जरिए निशाने साधे जा रहे हैं.
राज्य में डेढ़ दशक बाद सत्ता की कुर्सी कांग्रेस के हाथ में आई थी, मगर वह 15 माह में ही हाथ से फिसल गई. सत्ता जाने का मलाल अब भी कांग्रेस को रह-रह कर सता रहा है. यही कारण है कि सत्ता छिनने के सबसे बड़े किरदार केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हमेशा कांग्रेस के निशाने पर रहते हैं.
दिग्विजय ने सिंधिया को बताया गद्दार
दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और सिंधिया परिवार की अदावत किसी से छिपी नहीं है, अब तो एक दूसरे के खिलाफ खुलकर बयान दे रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लगातार सिंधिया को गद्दार के तौर पर प्रचारित करते हैं. उन्होंने बीते दिनों तो बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में कह कि बड़े-बड़े राजा-महाराजा राजा लोग बिक गए. हे महाकाल, दूसरे ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में पैदा न हो.
सिंधिया ने दिग्विजय को कहा देशद्रोही
दिग्विजय सिंह के इस बयान के बाद सिंधिया भी आक्रामक हो गए और उन्होंने दिग्विजय सिंह को आड़े हाथों लिया और उनके बयान के जवाब में कहा कि हे प्रभु महाकाल, कृपया दिग्विजय सिंह जैसे देश-विरोधी और मध्य प्रदेश के बंटाधार भारत में पैदा न हों.
शिवराज ने सिंधिया को बताया खुद्दार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुले तौर पर सिंधिया का बचाव किया और कहा कि सिंधिया और जो कांग्रेस छोड़कर साथी भाजपा में आए हैं, उन्हें दिग्विजय सिंह गद्दार बता रहे हैं, लेकिन वह याद रखें कि वह गद्दार नहीं, खुद्दार हैं. आखिर वो कांग्रेस में कितना अपमान सहते.
सिंधिया ने गिराई थी कांग्रेस की सरकार
गौरतलब है कि वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में 230 सीटों में से कांग्रेस को 114 और भाजपा को 109 सीटों पर जीत मिली थी. बढ़त और निर्दलीय और सपा, बसपा के समर्थन के चलते कांग्रेस ने सरकार बनाई थी. कांग्रेस की 15 माह सरकार चली. लेकिन इस बीच सिंधिया के बागी तेवरों के चलते कांग्रेस की सरकार गिर गई. उसके बाद से ही सिंधिया कांग्रेस के निशाने पर हैं.
अभी तो हमलों की शुरुआत है...
राजनीति के जानकारों का कहना है कि चुनाव में अभी छह माह से ज्यादा का वक्त है, यह तो अभी हमलों की शुरूआत है. आने वाले दिनों में व्यक्तिगत हमलों की भी बारी आ जाए तो अचरज नहीं होगा. इसके पीछे दोनों प्रमुख नेता दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने अपनी सियासी अस्तित्व को बनाए रखने की चुनौती है. यह दोनों नेता ही एक ही क्षेत्र से आते हैं, दोनों की खास नजर ग्वालियर-चंबल इलाके पर है और दोनों ही यह जानते हैं कि यहां की हार जीत ही इन नेताओं के भावी भविष्य को तय करने वाली है.
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