MP Assembly Election Result 2023: मध्य प्रदेश में बीजेपी बंपर जीत की ओर बढ़ रही है. राज्य की कुल 230 सीटों में से 166 सीटों पर बीजेपी आगे चल रही है वहीं 63 सीट पर कांंग्रेस आगे है, जबकि एक सीट अन्य के खाते में जाती दिख रही है. सवाल है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी की इस रिकॉर्ड जीत की वजह क्या है. राज्य में चुनाव प्रचार के शुरुआती दौर से ही बीजेपी पूरी रणनीति के साथ आगे बढ़ रही थी.
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू, गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की गेम-चेंजर लाडली बहना योजना (जिसमें 2.72 करोड़ महिला मतदाताओं में से 1.31 करोड़ महिलाओं को 1250 रुपये की मासिक वित्तीय मदद) के चलते विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बंपर जीत की ओर है. मध्य प्रदेश में भारी जीत के साथ बीजेपी की सत्ता बरकरार है और शिवराज सिंह चौहान सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने का रेकॉर्ड भी बना चुके हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश में 14 सार्वजनिक सभाओं के साथ रोड शो किया
दरअसल, चुनाव की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश में 14 सार्वजनिक सभाओं के साथ एक रोड शो भी किया. मध्य प्रदेश में सत्ता बरकरार रखने के लिए बीजेपी को प्रधानमंत्री के करिश्मे पर काफी भरोसा था और उनकी रैलियों में भारी भीड़ भी उमड़ी और मोदी के जयकारे लगते रहे. पार्टी का चुनाव अभियान एमपी के मन में मोदी, जैसे नारों और मंत्रों के इर्द-गिर्द बुना गया था. बीजेपी पार्टी ने सत्ता-विरोधी थकान को दूर करने के लिए देश के अपने सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे चौहान को थोड़ा पीछे रखा और सनातन एवं मोदी पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया. चुनाव प्रचार के अंतिम दिन पीएम मोदी ने तीन चुनावी रैलियों को संबोधित किया और एक रोड शो भी किया. अमित शाह ने भी आखिरी दिन रैलियों के साथ रोड शो में भाग लिया.
गौरतलब है कि बीजेपी ने 2003 से लेकर दिसंबर 2018 और फिर मार्च 2020 से अभी तक राज्य में शासन किया है. 2018 में 15 महीने के लिए कांग्रेस सत्ता में आई थी.अब एक बार फिर मध्यप्रदेश के मतदाताओं ने बीजेपी को सत्ता की चाबी सौंप दी है. चुनाव के दौरान बीजेपी के चाणक्य माने जाने वाले शाह ने राज्य का सघन दौरा किया. टिकट वितरण के बाद असंतोष को दबाने के लिए वह एक बार तीन दिनों तक मध्यप्रदेश में रुके रहे.उन्होंने विद्रोहियों को समझाया-बुझाया, पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रचार के लिए तैयार किया और उनकी बात भी सुनी. सितंबर में, शाह ने चुनाव प्रबंधन को नियंत्रित करने और रणनीति तैयार करने का कठिन कार्य अपने ऊपर ले लिया. दूसरी ओर उन्होंने सत्ता विरोधी लहर को दूर रखने के लिए चौहान को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं किया.
2003 के बाद यह पहली बार था जब बीजेपी सत्ता में आई और उसने अपने मुख्यमंत्री का चेहरा पेश नहीं किया है. चौहान ने शायद केंद्रीय निर्देशों के चलते चुनाव से पहले जनता तक पहुंचने के लिए जन आशीर्वाद यात्रा (जनता का आशीर्वाद मांगने) भी नहीं निकाली. इसके स्थान पर पांच जन आशीर्वाद यात्राएं निकाली गईं, जिन्हें पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह ने हरी झंडी दिखाई. शाह ने मध्य प्रदेश के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाई क्योंकि बीजेपी 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में मामूली अंतर से हार गई थी.
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव को राज्य चुनाव प्रभारी और अश्विनी वैष्णव को सह-प्रभारी नियुक्त करके राज्य की चुनावी बागडोर उनके हाथ में सौंप दी.जिसके एक हफ्ते बाद 15 जुलाई को पार्टी ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एमपी चुनाव के लिए अपनी चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक नियुक्त कर दिया.
नहीं चल पाया कमलनाथ का करिश्मा
वहीं,एमपी कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ ने नारी सम्मान योजना की घोषणा की, जिसमें उनकी पार्टी ने सत्ता में आने पर राज्य में महिलाओं को 1500 रुपये की वित्तीय सहायता देने का वादा किया गया था. कांग्रेस की इस घोषणा के जवाब में 5 मार्च को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लाडली बहना योजना लेकर आए और जून में पहली किश्त प्रदान कर दी.अब चुनाव परिणाम से स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना योजना एक गेम-चेंजर बन गई. चौहान ने महिलाओं को 1000 रुपये प्रति माह देने की घोषणा की और कहा कि सहायता को धीरे-धीरे 250 रुपये प्रति माह की बढ़ोतरी के साथ 3000 रुपये तक बढ़ाया जाएगा.
इसका परिणाम यह हुआ कि 17 नवंबर को मतदान के दौरान महिला मतदाताओं ने बीजेपी के पक्ष में प्रभावशाली मतदान किया. एमपी में 77.82 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ, जिसमें लगभग 76.02 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने मतदान किया. महिला मतदाताओं की कुल संख्या 2.72 करोड़ में से 1.31 करोड़ लाडली बहना योजना की लाभार्थी थीं. एमपी में कुल मतदाताओं की संख्या 5 करोड़ 60 लाख 60 हजार 925 है.बीजेपी यानी भगवा पार्टी की योजना ऐसी थी कि उसने चुनाव से लगभग तीन महीने पहले 17 अगस्त को अपने 39 उम्मीदवारों की पहली सूची की घोषणा कर दी.इसके विपरीत, कांग्रेस ने अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और योद्धा कमल नाथ (76 वर्ष) पर बहुत अधिक भरोसा करते हुए 17 नवंबर को 144 उम्मीदवारों की पहली सूची घोषित की थी.बीजेपी ने अपनी सुगठित संगठन मशीनरी के साथ न केवल अपने उम्मीदवार की घोषणा करने में कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया बल्कि प्रचार में भी उसे मात दे दी.
पीएम मोदी और शाह के अलावा बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, स्मृति ईरानी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने चुनावी सभाओं को संबोधित किया.
दूसरी ओर, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी सहित अन्य स्टार प्रचारकों ने मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार किया.
कमलनाथ के बारे में कांग्रेस में कई लोग मानते हैं कि वे मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की तरह काम करते हैं. उन्होंने प्रतिदिन दो चुनावी सभाओं को संबोधित किया, जबकि चौहान (64 वर्ष) ने अपनी पार्टी के लिए समर्थन जुटाने के लिए प्रतिदिन लगभग आठ से दस रैलियों को संबोधित किया. बीजेपी की रणनीति,मुद्दे और मेहनत का परिणाम ही है कि उसने सत्ता में जबरदस्त वापसी की है.