Who is Ramesh Mendola: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में इंदौर-2 क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के निवर्तमान विधायक रमेश मेंदोला ने 1,07,047 मतों के विशाल अंतर से जीत दर्ज की और इस सीट पर बीजेपी का 30 साल पुराना कब्जा बरकरार रखा. यह राज्य की सभी 230 विधानसभा सीटों पर किसी उम्मीदवार की जीत का सबसे बड़ा अंतर है.


इंदौर के विधानसभा चुनाव में इस बार सभी 9 सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी विजय हुए हैं लेकिन इंदौर विधानसभा-2 की बात ही अलग है. रमेश मेंदोला ने मध्य प्रदेश के अलावा राजस्थान और छत्तीसगढ़ का रिकॉर्ड भी तोड़ते हुए सबसे ज्यादा वोट हासिल किए हैं. इसी के साथ अब उनके मंत्री पद की दावेदारी भी बेहद मजबूत हो गई है.उससे पहले लिए कुछ आंकड़ों पर नजर डालते हैं कि किस राज्य में किस नेता ने कितने वोट से जीत हासिल की है.


मध्य प्रदेश
रमेश मेंदोला-1,07,047 वोट से जीत
कृष्णा गौर- 1,06,668 वोट से जीत
शिवराज सिंह चौहान-1,04,974 वोट से जीत


राजस्थान
दीया कुमारी- 71,368 वोट से जीत
राजकुमार रोत- 69,166 वोट से जीत
मनीष यादव- 64,908 वोट से जीत


छत्तीसगढ़
बृजमोहन अग्रवाल-67,719 वोट से जीत
ओमप्रकाश चौधरी -64,443 वोट से जीत
अरुण साव- 45,891 वोट से जीत


अगर आंकड़ों के हिसाब से बात करें तो रमेश मेंदोला को जितने वोट विधानसभा में डाले गए उसके करीब 72% वोट मिले हैं. इस विधानसभा में 347000 वोटर हैं जिनमें से करीब 2 लाख 34 हजार लोगों ने इस बार मतदान किया था. इन 2 लाख 34 हजार  वोट में से अकेले मेंदोला के पास एक लाख 69 हजार  वोट गए जो कि इसका करीब 72% होता है वही रमेश मेंदोला के प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस के प्रत्याशी चिंटू चौकसे को केवल 62000 वोट मिले हैं जिनका प्रतिशत अगर निकल जाए तो यह केवल 26% होता है इसका अर्थ यह है कि हर 10 मतदाता में से 7 ने रमेश मेंदोला को वोट दिया है.


ऐसा नहीं है कि रमेश मेंदोला ने पहली बार ही इतने अधिक वोट से जीते हैं. रमेश मेंदोला 2008 में पहली बार चुनाव मैदान में उतरे थे और उसके बाद से लगातार जीते आ रहे हैं. 2008 में उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेश सेठ को तकरीबन 40000 वोटो से हराया था उसके बाद 2013 में कांग्रेस के प्रत्याशी छोटू शुक्ला उनके सामने चुनाव लड़े जिन्हें उन्होंने 91000 वोटो से हराया और उसे समय भी मध्य प्रदेश में यह सबसे बड़ी जीत थी इसके बाद मेंदोला 2018 में फिर चुनाव लड़े और उन्होंने कांग्रेस के मोहन सिंगर को 71000 वोटो से मात दी. यह जीत भी मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा वोट वाली जीत में से एक थी वहीं इस बार उन्होंने खुद ही अपना रिकॉर्ड तोड़ दिया और सबसे ज्यादा वोट हासिल करते हुए करीब 1 लाख से अधिक मतों से विजई हुए लेकिन इसे कर्म की नीति ही कहा जाएगा कि रमेश मेंदोला भले ही बड़े अंतर के साथ जीते आ रहे हो लेकिन मंत्री पद के दावेदार होते हुए उन्हें स्थानीय राजनीति के चलते हर बार दरकिनार किया गया.


मेंदोला का नाम महापौर पद के लिए चला लेकिन किसी विधायक को टिकट नहीं देने के पार्टी के फैसले के बाद वह रेस से बाहर हो गए. इसके बाद मंत्री पद के लिए फिर साल 2013 में रमेश मेंदोला का नाम सामने आया लेकिन मंत्री नहीं बन पाए. उसके बाद साल 2020 का था और वह इस बार भी मंत्री पद हासिल नहीं कर पाए. पार्टी ने तुलसी सिलावट के साथ उषा ठाकुर को मंत्री बना दिया लेकिन रमेश मेंदोला मंत्री नहीं बन सके


हालांकि इस बार इंदौर से मंत्रिमंडल में तुलसी सिलावट का नाम तो तय माना जा रहा है लेकिन अब दूसरा मंत्री कौन होगा इस पर फिर से खींचतान शुरू हो गई है क्योंकि इंदौर में महेंद्र हार्डिया, उषा ठाकुर और मालिनी गौड़ यह बड़े नाम है जिनको पीछे छोड़कर रमेश मेंदोला को आगे आना होगा तब जाकर वह मंत्री पद हासिल कर पाएंगे. इधर जब मंत्री पद दावेदारी को लेकर रमेश मेंदोला से सवाल किया गया तो उनका कहना था कि हमारा हाई तय करेगा कि कौन मंत्री बनेगा और कौन मुख्यमंत्री, लेकिन जो चलता है वह पहुंचता भी है.


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